१.) राजा द्रुपद कौन धे? उनसे कौन बदला
लेना चाहता था और क्यों?
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द्रोणाचार्य से बदला क्यों लेना चाहते थे राजा द्रुपद, क्यों चाहते थे द्रोणाचार्य को मारने वाला पुत्र, इसके लिए क्या किया उन्होंने?
2 वर्ष पहले
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रिलिजन डेस्क। पांचाल देश के राजा द्रुपद और द्रोणाचार्य बचपन के मित्र थे। एक दिन जब द्रोणाचार्य राजा द्रुपद से मिलने गए तो द्रुपद ने उनका बहुत अपमान किया। अपने अपमान से आहत होकर द्रोणाचार्य हस्तिनापुर आ गए। यहां आकर भीष्म के कहने पर उन्होंने पांडव और कौरवों को अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया। गुरुदक्षिणा के रूप में द्रोणाचार्य ने पांडव और कौरवों के सामने राजा द्रुपद को बंदी बनाकर लाने को कहा। कौरव इस काम में असफल हुए, लेकिन पांडव अपने पराक्रम से राजा द्रुपद को बंदी बना लाए। इस तरह द्रोणाचार्य ने अपने अपमान का बदला लिया। ये बात तो लगभग सभी जानते हैं। इसके बाद राजा द्रुपद ने क्या किया जानिए...
द्रोणाचार्य से बदला लेने के लिए द्रुपद ने ये किया...
- जब द्रोणाचार्य ने पाण्डवों के द्वारा द्रुपद को पराजित किया, तब से राजा द्रुपद बदले की भावना में जलते रहे।
- वे द्रोणाचार्य से बदला लेने के लिए श्रेष्ठ संतान की चाह से कई विद्वान संतों के पास गए। लेकिन किसी ने भी उनकी इच्छा पूरी नहीं की।
- फिर एक दिन द्रुपद घुमते-घुमते कल्माषी नगर गए। वहां ब्राह्मण बस्ती में कश्यप गोत्र के दो ब्राह्मण याज व उपयाज रहते थे।
- द्रुपद सबसे पहले महात्मा उपयाज के पास गए और उनसे प्रार्थना की कि आप कोई ऐसा यज्ञ कराईए जिससे मुझे द्रोणाचार्य को मारने वाली संतान प्राप्त हो। लेकिन उपयाज ने मना कर दिया।
- इसके बाद भी द्रुपद ने एक वर्ष तक उनकी निस्वार्थ भाव से सेवा की। तब उन्होंने बताया कि उनके बड़े भाई याज यह यज्ञ करवा सकते हैं।
- तब द्रुपद महात्मा याज के पास पहुंचे और उनको पूरी बात बताई। यह भी कहा कि यज्ञ करवाने पर मैं आपको एक अर्बुद (दस करोड़) गाए भी दूंगा। महात्मा याज ने द्रुपद का यज्ञ करवा स्वीकार कर लिया।
- महात्मा याज ने जब राजा द्रुपद का यज्ञ करवाया तो यज्ञ के अग्निकुण्ड में से एक दिव्य कुमार प्रकट हुआ। उसके सिर पर मुकुट, शरीर पर कवच था तथा हाथों में धनुष-बाण थे।
- यह देख सभी पांचालवासी हर्षित हो गए। तभी आकाशवाणी हुई कि इस पुत्र के जन्म से द्रुपद का सारा शोक मिट जाएगा। यह कुमार द्रोणाचार्य को मारने के लिए ही पैदा हुआ है।
- इसके बाद उस अग्निकुंड में से एक दिव्य कन्या भी प्रकट हुई। वह अत्यंत ही सुंदर थी। तभी आकाशवाणी हुई कि यह रमणीरत्न कृष्णा है।
- देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए क्षत्रियों के विनाश के उद्देश्य से इसका जन्म हुआ है। इसके कारण कौरवों को बड़ा भय होगा।
- दिव्य कुमार व कुमारी को देखकर द्रुपदराज की रानी महात्मा याज के पास आई और प्रार्थना की कि ये दोनों मेरे अतिरिक्त और किसी को अपनी मां न जानें। महात्मा याज ने कहा- ऐसा ही होगा।
- ब्राह्मणों ने उन दोनों का नामकरण किया। वे बोले- यह कुमार बड़ा धृष्ट (ढीट) और असहिष्णु है। इसकी उत्पत्ति अग्निकुंड की द्युति से हुई है, इसलिए इसका धृष्टद्युमन होगा।
- यह कुमारी कृष्ण वर्ण की है, इसलिए इसका नाम कृष्णा होगा। द्रुपद की पुत्री होने के कारण कृष्णा ही द्रौपदी के नाम से विख्यात हुई।
Explanation:
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राजा द्रुपद द्रोणाचार्य के मित्र व पांचाल देश के राजा थे।
उससे द्रोणाचार्य बदला लेना चाहते थे क्योंकि द्रुपद ने उसे भारी सभा में अपमानित किया।
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