राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्तों में से गांधीवाद के सिद्धातों पर आधारित कोई दो सिद्धान्त चुन कर
लिखिए।
Answers
Answer:संविधान कुछ राज्य के नीति निर्देशक तत्व निर्धारित करता है, यद्यपि ये न्यायालय में कानूनन न्यायोचित नहीं ठहराए जा सकते, परन्तु देश के शासन के लिए मौलिक हैं, और कानून बनाने में इन सिद्धान्तों को लागू करना राज्य का कर्तव्य है। ये निर्धारित करते हैं कि राज्य यथासंभव सामाजिक व्यवस्था जिसमें-सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय की व्यवस्था राष्ट्रीय जीवन की सभी संस्थाओं में कायम करके जनता नीतियों को ऐसी दिशा देगा ताकि सभी पुरुषों और महिलाओं को जीविकोपार्जन के पर्याप्त साधन मुहैया कराए जाएं। समान कार्य के लिए समान वेतन और यह इसकी आर्थिक क्षमता एवं विकास के भीतर हो, कार्य के अधिकार प्राप्त करने के लिए प्रभावी व्यवस्था करने, बेरोजगार के मामले में शिक्षा एवं सार्वजनिक सहायता, वृद्धावस्था, बीमारी एवं असमर्थता या अयोग्यता की आवश्यकता के अन्य मामले में सहायता करना। राज्य कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी, कार्य की मानवीय स्थितियों, जीवन का शालीन स्तर और उद्योगों के प्रबंधन में कामगारों की पूर्ण सहभागिता प्राप्त करने के प्रयास करेगा।
आर्थिक क्षेत्र में राज्य को अपनी नीति इस तरह से बनानी चाहिए ताकि सार्वजनिक हित के निमित सहायक होने वाले भौतिक संसाधनों का वितरण का स्वामित्व एवं नियंत्रण हो, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि आर्थिक प्रणाली कार्य के फलस्वरूप धन का और उत्पादन के साधनों का जमाव सार्वजनिक हानि के लिए नहीं हो।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण निर्देशक तत्व बच्चों के लिए अवसरों और सुविधाओं की व्यवस्था से संबंधित हैं ताकि उनका विकास अच्छी तरह हो, 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों के लिए मुक्त एवं अनिवार्य शिक्षा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा और आर्थिक हितों का संवर्धन ग्राम पंचायतों का संगठन; कार्यपालिका से न्यायपालिका को अलग करना; पूरे देश के लिए एक समान सिविल कोड लागू करना, राष्ट्रीय स्मारकों की रक्षा करना, समान अवसर के आधार पर न्याय का संवर्धन करना, मुक्त कानूनी सहायता की व्यवस्था, पर्यावरण की रक्षा और उन्नयन और देश के वनों एवं वन्य जीवों की रक्षा करना; अंतरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा का विकास, राष्ट्रों के बीच न्याय और सम्मानजनक संबंध, अंतरराष्ट्रीय कानूनों संधि बाध्यताओं का सम्मान करना, मध्यवर्ती द्वारा अंतरराष्ट्रीय विवादों का निपटान करना।
Explanation: