) राज्य में हाहाकार मचा हुआ था । प्रजा दिन - दहाड़े लूटी जाती थी । कोई फरियाद सुनने वाला न था । देहातों की सारी दौलत लखनऊ में खिंची आती थी और यह वेश्याओं में , भाँडों में और विलासिता के अन्य अंगों की पूर्ति में उड़ जाती थी । अंग्रेजी कम्पनी का त्राण दिन - दिन बढ़ता जाता था । कमली दिन - दिन भीगकर भारी होती जाती थी । देश में सुव्यवस्था न होने के कारण वार्षिक कर भी न वसूल होता था । रेजीडेंट बार - बार चेतावनी देता था , पर यहाँ तो लोग विलासिता के नशे में चूर थे , किसी के कानों पर जूं न रेंगती थी ।
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Nice Story..........................
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