राज्य पुनर्गठन आयोग के प्रमुख कार्यों एवं दी गई सिफारिशों की व्याख्या कीजिए |
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भारत के स्वतंत्र होने के बाद भारत सरकार ने अंग्रेजी राज के दिनों के 'राज्यों' को भाषायी आधार पर पुनर्गठित करने के लिये राज्य पुनर्गठन आयोग (States Reorganisation Commission) की स्थापना 1953 में की। 1950 के दशक में बने पहले राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश में राज्यों के बंटवारे का आधार भाषाई था। इसके पीछे तर्क दिया गया कि स्वतंत्रता आंदोलन में यह बात उठी थी कि जनतंत्र में प्रशासन को आम लोगों की भाषा में काम करना चाहिए, ताकि प्रशासन लोगों के नजदीक आ सके।पंजाब मे सभी विश्वविद्यालय में अनेक भाषाओं में एजूकेशन दिया जाता है।पंजाब का नवीनतम जिला मलेरकोटला है।
राज्य पुनर्गठन आयोग के प्रमुख कार्यों एवं दी गई सिफारिशों की व्याख्या कीजिए |
राज्य पुनर्गठन आयोग भारत में आजादी के बाद नए राज्यों के पुनर्गठन के लिए 1953 में बनाया गया एक आयोग था, जिसका मुख्य कार्य यह देखना था कि राज्यों का पुनर्गठन किस आधार पर किया जाए। राज्य पुनर्गठन आयोग ने सबसे मुख्य सिफारिश यह प्रस्तुत की थी राज्यों का पुनर्गठन उस क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा के आधार पर किया जाना चाहिए।
राज्य पुनर्गठन आयोग ने अपने अध्ययन में यह सिफारिश की और उसके आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग अधिनियम पास हुआ और भारत में भाषाई आधार पर 14 राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए। इसी आधार पर बाद में अन्य राज्यों का भी निर्माण किया गया।
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