Hindi, asked by neerajthakur31, 1 month ago

राज्य सभा की शक्तियों का परीक्षण कीजिये।​

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Answered by aanchalgupt
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Answer:

राज्यसभा लोकसभा की तुलना में एक शक्तिहीन सदन है। राज्यसभा की रचना लोकसभा के सहयोगी और सहायक सदन के रूप में की गयी है। फिर भी इसका अपना महत्व है। राज्यसभा की शक्तियाँ और कार्य अधोलिखित है।

विधायी शक्तियां (Legislative Powers):

लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा भी विधि निर्माण सम्बन्धी कार्य करती है। धन विधेयक के सिवाय अन्य विधेयकों के सम्बन्ध में लोकसभा और राज्यसभा दोनों को बराबर शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। कोई भी विधेयक (Bill) दोनों सदनों से पारित होने के बाद ही राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए जाता है।

सामान्यतया सभी महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा में ही प्रस्तावित किये जाते हैं, राज्यसभा में नहीं। राज्यसभा लोकसभा द्वारा पारित साधारण विधेयक को 6 मास तक अपने पास रोक सकती है, किन्तु वह किसी विधेयक को समाप्त नहीं कर सकती है।

अनुच्छेद 108 के अनुसार यदि किसी साधारण विधेयक के सम्बन्ध में लोकसभा और राज्यसभा में मतभेद उत्पन्न हो जाता है तो मतभेद को दूर करने के लिए राष्ट्रपति दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन आहूत करेगा।

वित्तीय शक्ति (Financial power):

संविधान के अनुच्छेद 109 में यह स्पष्ट रूप से उपबन्धित किया गया है कि राज्यसभा में धन विधेयक प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। वह केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है। जब लोकसभा किसी धनविधेयक की पारित कर देती है। तो वह राज्यसभा के पास उसकी सिफारिश लिए भेजा जाता है। राज्यसभा 14 दिन तक धन-विधेयक को अपने पास रोक सकती है। यदि वह विधेयक की प्राप्ति तिथि से 14 दिन की कालावधि के भीतर उन विधेयक को अपनी सिफारिश सहित लोकसभा को नहीं लौटा देती है तो उक्त विधेयक उस रूप में दोनों सदनों द्वारा पारित समझा जायेगा। राज्यसभा वित्त विधेयक के सम्बन्ध में अपने सुझाव भी लोकसभा को दे सकती है, लेकिन यह लोकसभा की इच्छा पर निर्भर है कि उन सुझावों को माने या न माने।

संविधान में संशोधन की शक्तियां (The powers of amendment to the constitution):

संविधान संशोधन के सम्बन्ध में राज्यसभा को लोकसभा के समान शक्ति प्राप्त है। लोकसभा से पारित संशोधन विधेयक तभी स्वीकृत समझा जायेगा जब वह राज्यसभा द्वारा पारित कर दिया जाये। संशोधन विधेयक पर राज्यसभा की असहमति होने पर संशोधन विधेयक अस्वीकार समझा जायेगा।

आपातकाल सम्बन्धी शक्ति (Emergency power):

राष्ट्रपति की आपातकालीन उद्घोषणा की स्वीकृति दोनों सदनों के द्वारा अनिवार्य है। यदि घोषणा उस समय की गई हो जब लोकसभा विघटित हो गई हो तो उस समय घोषणा का राज्यसभा द्वारा स्वीकृत होना अनिवार्य है।

अन्य महत्वपूर्ण शक्तियां (Other important powers):

राज्यसभा को कुछ अन्य शक्तियाँ भी प्राप्त हैं-

राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।

राज्यसभा के सदस्य लोकसभा के सदस्यों के साथ मिलकर उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।

राज्यसभा, लोकसभा के साथ मिलकर राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों तथा कुछ पदाधिकारियों पर महाभियोग (Impeachment) लगा सकती है। महाभियोग का प्रस्ताव तभी पारित समझा जाता है, जब दोनों सदन इस प्रकार के प्रस्ताव को

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