राज्य सभा की शक्तियां तथा दितीय सदन के रूप में इसकी भूमिका तथा महत्व रेखांकित कीजिए
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राज्य सभा भारतीय लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। लोकसभा निचली प्रतिनिधि सभा है। राज्यसभा में २४५ सदस्य होते हैं। जिनमे १२ सदस्य भारत के राष्ट्रपति के द्वारा नामांकित होते हैं। इन्हें 'नामित सदस्य' कहा जाता है। अन्य सदस्यों का चुनाव होता है। राज्यसभा में सदस्य ६ साल के लिए चुने जाते हैं, जिनमे एक-तिहाई सदस्य हर २ साल में सेवा-निवृत होते हैं।
राज्यसभा
राज्यों की परिषद
भारत का राजचिह्न
भारत का राजचिह्न
प्रकार
प्रकार
उच्च सदन of the भारत की संसद
कार्यकाल
६ वर्ष
नेतृत्व
सभापति
( उपराष्ट्रपति)
वैंकेया नायडू[1]
११ अगस्त २०१७
उपसभापति
हरिवंश नारायण सिंह, जद(यू)
९ अगस्त २०१८
सदन के नेता
पीयूष गोयल भाजपा १४ जुलाई २०२१, भाजपा
११ जून २०१९[2]
विपक्ष के नेता
मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस
१६ फरवरी २०२१[2]
Structure
सीटें
२४५ (२३३ निर्वाचित + १२ मनोनीत)
Rajya Sabha
राजनैतिक गुट
Government
NDA (145)
BJP (96)
AIADMK (9)
BJD (9)
TRS (7)
YSRCP (6)
JD(U) (5)
AGP (1)
NPP (1)
MNF (1)
PMK (1)
NPF (1)
SDF (1)
TMC(M) (1)
RPI(A) (1)
IND (1)
NOM (4)
Opposition
UPA (95)
INC (35)
AITC (12)
DMK (7)
CPI(M) (6)
RJD (5)
SP (5)
NCP (4)
AAP (3)
SAD (3)
BSP (3)
SHS (3)
CPI (2)
TDP (1)
JD(S) (1)
LJD (1)
JMM (1)
IUML (1)
MDMK (1)
IND (1)
Vacant (5)
Vacant (5)
सरकार (११४)
राजग (११४)
भाजपा (८४)
अन्ना-द्रमुक (९)
जद(यू) (५)
शिअद (३)
अगप (१)
बीपीएफ (१)
रिपाइं(ए) (१)
एसडीएफ (१)
एनपीएफ (१)
निर्दलीय (२)
मनोनीत (४)
विपक्ष (१२९)
संप्रग (६३)
कांग्रेस (४२)
राजद (५)
राकांपा (४)
द्रमुक (७)
जद(से) (१)
IUML (१)
KC(M) (१)
मनोनीत (१)
अन्य (६६)
तृणमूल (१३)
सपा (८)
बीजद (९)
तेरास (७)
माकपा (५)
बसपा (४)
शिवसेना (३)
आप (३)
भाकपा (१)
जेकेपीडीपी (२)
तेदेपा (१)
वायएसआर (६)
निर्दलीय (१)
रिक्त (२)
चुनाव
Single transferable vote
५ जुलाई २०१९
१८ जुलाई २०१९
बैठक स्थान
view of Sansad Bhavan, seat of the Parliament of India
राज्यसभा chamber, संसद भवन,
संसद मार्ग, नई दिल्ली, भारत - ११० ००१
वेबसाइट
rajyasabha.nic.in
पाद-टिप्पणी
^† Out of 78 BJP members, 70 were elected and 8 were nominated.
किसी भी संघीय शासन में संघीय विधायिका का ऊपरी भाग संवैधानिक बाध्यता के चलते राज्य हितों की संघीय स्तर पर रक्षा करने वाला बनाया जाता है। इसी सिद्धांत के चलते राज्य सभा का गठन हुआ है। इसी कारण राज्य सभा को सदनों की समानता के रूप में देखा जाता है जिसका गठन ही संसद के द्वितीय सदन के रूप में हुआ है। राज्यसभा का गठन एक पुनरीक्षण सदन के रूप में हुआ है जो लोकसभा द्वारा पास किये गये प्रस्तावों की पुनरीक्षा करे। यह मंत्रिपरिषद में विशेषज्ञों की कमी भी पूरी कर सकती है क्योंकि कम से कम 12 विशेषज्ञ तो इस में मनोनीत होते ही हैं। आपातकाल लगाने वाले सभी प्रस्ताव जो राष्ट्रपति के सामने जाते हैं, राज्य सभा द्वारा भी पास होने चाहिये। जुलाई 2018 से, राज्यसभा सांसद सदन में 22 भारतीय भाषाओं में भाषण कर सकते हैं क्योंकि ऊपरी सदन में सभी 22 भारतीय भाषाओं में एक साथ व्याख्या की सुविधा है।[3]