राज्यपाल के रूप में आप किन किन शक्तियों का उपयोग करेंगे ?
अथवा
मुख्यमंत्री के रूप में आप किन-किन शक्तियों का उपयोग करेंगे?
Answers
Answer:
(Legislative Powers)
चूँकि राज्यपाल, राज्य के विधानमंडल का अभिन्न अंग होता है इसलिए उसके पास कुछ विधायी शक्तियाँ भी होती हैं। राज्यपाल को राज्य के विधानमंडल के सत्र को बुलाने और समाप्त करने का अधिकार होता है। वह राज्य के मंत्रिपरिषद की सलाह पर राज्य विधान सभा को भंग कर सकता है।
Explanation:
राजभवन लखनऊ उत्तर प्रदेश
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राज्यपाल के संवैधानिक कार्य
राजभवन लखनऊ उत्तर प्रदेश
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'भारत का संविधान' के अन्तर्गत
राज्यपाल की शक्तियां एवं कार्य
अनुच्छेद 151(2).संपरीक्षा प्रतिवेदन: भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के किसी राज्य के लेखाओं संबंधी प्रतिवेदनों को उस राज्य के राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जो उनको राज्य के विधान मण्डल के समक्ष रखवाएगा ।
अनुच्छेद 153. राज्यों के राज्यपाल: प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा । परन्तु इस अनुच्छेद की कोई बात एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों के लिए राज्यपाल नियुक्त किये जाने से निवारित नहीं करेगी ।
अनुच्छेद 154. राज्य की कार्यपालिका शक्ति:
(1) राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा ।
(2) इस अनुच्छेद की कोई बात--
(क) किसी विद्यमान विधि द्वारा किसी अन्य प्राधिकारी को प्रदान किये गये कृत्य राज्यपाल को अंतरित करने वाली नहीं समझी जाएगी, या
(ख) राज्यपाल के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी को विधि द्वारा कृत्य प्रदान करने से संसद या राज्य के विधान-मण्डल को निवारित नहीं करेगी ।
अनुच्छेद 155. राज्यपाल की नियुक्ति: राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा ।
अनुच्छेद 156. राज्यपाल की पदावधि:
(1) राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त पद धारण करेगा ।
(2) राज्यपाल, राष्ट्रपति को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा ।
(3) इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्यपाल अपने पदग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा । परन्तु राज्यपाल, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी, तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है ।
अनुच्छेद 157. राज्यपाल नियुक्त होने के लिए अर्हताएं: कोई व्यक्ति राज्यपाल नियुक्त होने का पात्र तभी होगा जब वह भारत का नागरिक है और पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है ।
अनुच्छेद 158. राज्यपाल पद के लिए शर्तें:
(1) राज्यपाल संसद के किसी सदन का या पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी राज्य के विधान-मण्डल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा और यदि संसद के किसी सदन का या ऐसे किसी राज्य के विधान-मण्डल के किसी सदन का कोई सदस्य राज्यपाल नियुक्त हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान राज्यपाल के रूप में अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है ।
(2) राज्यपाल अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा ।
(3) राज्यपाल, बिना किराया दिए, अपने शासकीय निवासों के उपयोग का हकदार होगा और ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का भी, जो संसद, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबन्ध नहीं किया जाता है तब तक ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का, जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, हकदार होगा ।
(3क) जहां एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जाता है वहाॅ उस राज्यपाल को संदेय उपलब्धियाॅं और भत्ते उन राज्यों के बीच ऐसे अनुपात में आवण्टित किये जायेंगे जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा अवधारित करे ।
(4) राज्यपाल की उपलब्धियाॅं और भत्ते उसकी पदावधि के दौरान कम नहीं किए जायेंगे ।
अनुच्छेद 159. राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान:
Answer:
राज्यपाल के रूप में आप किन-किन शकितयों का उपयोग करेंगे