राजभाषा हिन्दी की संवैधानिक एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
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संविधान के भाग-17 के अनुचछेद 343 से 351 तक में राजभाषा संबंधी प्रावधान किये गए हैं। संविधान के अनुच्छेद 343 के अंतर्गत संघ की राजभाषा के संबंध में प्रावधान किया गया है। अनुच्छेद 343 के खंड (1) के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी संघ की राजभाषा है।
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हिन्दी की संवैधानिक एवं व्यावहारिक स्थिति:
व्याख्या:
- भारत ग्रह पर सबसे बड़ा वोट आधारित, बहुभाषी देश है। भारत के विभिन्न स्थानों में बोली जाने वाली भाषाओं की संख्या 100 से अधिक है, हालांकि संविधान में स्वीकृत बोलियों की संख्या चौदह है, जिसमें संघ की आधिकारिक भाषा हिंदी है और इसकी सामग्री देवनागरी है।
- इस सरकारी आधिकारिक भाषा, हिंदी के पास घटनाओं और उन्नति के लिए आवश्यक होने पर मूल रूप से संस्कृत और वैकल्पिक रूप से अन्य भारतीय बोलियों के शब्दों को लेने का पूरा अवसर है।
- संविधान में हिंदी की उन्नति, उन्नति की व्यवस्था है, फिर भी एक निश्चित अवधि के लिए सह-भाषा के रूप में स्वीकार की गई अंग्रेजी की घटनाओं, उन्नति, प्रसार या फलने-फूलने का कोई संकेत नहीं है।
- संविधान निर्माताओं ने निश्चित आग व्यवसाय के लिए अंग्रेजी को सह-भाषा के साथ स्थिति देते हुए, इसकी उन्नति के लिए कोई पद देने के लिए संविधान में कोई व्यवस्था नहीं की। शायद यह विश्वास था कि 1965 तक हिंदी पूरे देश में सत्ता की भाषा का वैध स्थान ग्रहण कर लेगी और उसे फिर कभी अंग्रेजी की भागीदारी की आवश्यकता नहीं होगी।
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