राजभाषा और सम्पर्क भाषा में दस अंतर लिखिए
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भारत में ‘हिन्दी’ बहुत पहले सम्पर्क भाषा के रूप में रही है और इसीलिए यह बहुत पहले से ‘राष्ट्रभाषा’ कहलाती है क्योंकि हिन्दी की सार्वदेशिकता सम्पूर्ण भारत के सामाजिक स्वरूप का प्रतिफल है। भारत की विशालता के अनुरूप ही राष्ट्रभाषा विकसित हुई है जिससे उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम कहीं भी होने वाले मेलों- चाहे वह प्रयाग में कुम्भ हो अथवा अजमेर शरीफ की दरगाह हो या विभिन्न प्रदेशों की हमारी सांस्कृतिक एकता के आधार स्तंभ तीर्थस्थल हों- सभी स्थानों पर आदान-प्रदान की भाषा के रूप में हिन्दी का ही अधिकतर प्रयोग होता है। इस प्रकार इन सांस्कृतिक परम्पराओं से हिन्दी ही सार्वदेशिक भाषा के रूप में लोकप्रिय है, विशेषकर दक्षिण और उत्तर के सांस्कृतिक सम्बन्धों की दृढ़ शृंखला के रूप में हिन्दी ही सशक्त भाषा बनीं। हिन्दी का क्षेत्र विस्तृत है।
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राष्ट्रीय भाषा किसी राष्ट्र या देश की पहचान का स्रोत या चिन्ह होती है। राष्ट्रीय भाषा को इसका दर्जा इसलिए मिलता है क्योंकि इसे अधिकांश आबादी द्वारा पहली भाषा के रूप में बोली जाती है। भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ अपवादों के अलावा, लगभग सभी देशों की एक राष्ट्रीय भाषा है। बांग्लादेश में बंगाली जैसे देश में एक राष्ट्रीय भाषा भी आधिकारिक भाषा हो सकती है।
एक आधिकारिक भाषा एक ऐसी भाषा है जिसे किसी विशेष देश, राज्य या अन्य अधिकार क्षेत्र में विशेष कानूनी दर्जा दिया जाता है। आम तौर पर किसी देश की आधिकारिक भाषा उस देश की अदालतों, संसद और प्रशासन में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा होगी। हालांकि अधिकांश देशों में एक आधिकारिक भाषा है, एक देश में ऐतिहासिक, राजनीतिक और भाषाई कारणों से एक से अधिक आधिकारिक भाषाएं हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, भारत में 22 आधिकारिक भाषाएं हैं; प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश एक या अधिक आधिकारिक भाषाओं को अपनाते हैं।
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