रोजगार सिद्धांत का संबंध किससे ह
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answer:कींस सिद्धांत या किंस का रोजगार सिद्धांत मंदी अथवा अवसाद की स्थिति में रोजगार से संबंधित है। किड्स के अनुसार मंदी या अवसाद की स्थिति में बेरोजगारी अर्थव्यवस्था में समग्र मांग या समग्र वय्य की कमी के कारण होती है। इस प्रकार समग्र वय्य की वृद्धि के द्वारा बेरोजगारी में कमी लाई जा सकती है।
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Answer:
कींस सिद्धांत या किंस का रोजगार सिद्धांत मंदी अथवा अवसाद की स्थिति में रोजगार से संबंधित है। किड्स के अनुसार मंदी या अवसाद की स्थिति में बेरोजगारी अर्थव्यवस्था में समग्र मांग या समग्र वय्य की कमी के कारण होती है।
Explanation:
पूँजी की सीमान्त उत्पादकता पर ध्यान न देना— कीन्स के अनुसार ब्याज तरलता पसन्दगी के परित्याग करने का पुरस्कार है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि मुद्रा की माँग केवल तरल रूप में रखने के लिए ही नहीं की जाती है, बल्कि इसलिए की जाती है ताकि उसे पूँजीगत वस्तुओं में विनियोग किया जा सके, क्योंकि पूँजी में उत्पादकता होती है। इस प्रकार ब्याज पूँजी की उत्पादकता के लिए दिया जाने वाला पुरस्कार है न कि पसन्दगी के परित्याग का पुरस्कार।
2. बास्तविक तत्वों की अवहेलना प्रो. हैजलिट का कहना है कि कीन्स के सिद्धान्त की मुख्य त्रुटि यह है कि उसने व्याज दर पर वास्तविक तथ्यों के प्रभावों की सर्वथा उपेक्षा की है। कीन्स के अनुसार व्याज एक विशुद्ध मौद्रिक तत्व है जबकि सच तो यह है कि ब्याज की दर पर पूँजी की उत्पादकता एवं समय पसन्दगी जैसे वास्तविक तों का भी पूरा-पूरा प्रभाव पड़ता है। इस दृष्टि से कीन्स का ब्याज सिद्धान्त एकपक्षीय कहा जा सकता है।
3. एकपक्षीय सिद्धान्त कीन्स का व्याज सिद्धान्त एकपक्षीय है, क्योंकि यह सिद्धान्त गुदा की माँग पर तो ध्यान देता है किन्तु मुद्रा की पूर्ति पर कोई ध्यान नहीं देता। सच तो यह है कि सरकार मुद्रा की पूर्ति में परिवर्तन करके ब्याज की दर को प्रभावित कर सकती है।
4. सिद्धान्त की अव्यावहारिकता — कीन्स के अनुसार ब्याज की दर को निर्धारित करने के लिए सट्टा उद्देश्य हेतु मुद्रा की माँग की जानकारी होनी चाहिए किन्तु विडम्बना तो यह है कि गाँग स्वयं व्याज की दर पर निर्भर करती है। स्पष्ट है कि ऐसी स्थिति में ब्याज की दर अनिर्धारणीय (Indeterminate) हो जाती है।
5. सिद्धान्त का अवास्तविक होना- प्रो. हैजलिट के अनुसार यह सिद्धान्त इसलिए दोषपूर्ण है क्योंकि यह उन तथ्यों के विपरीत सिद्ध होता है जिनकी यह सिद्धान्त स्वयं व्याख्या करने की कोशिश करता है। उदाहरणार्थ, यदि कीन्स का सिद्धान्त ठीक होता तो मन्दी के निम्नतम बिन्दु पर ब्याज की दर उच्चतम होती क्योंकि उस समय लोगों की तरलता पसन्दगी अधिकतम होती है। लेकिन जैसा कि हम जानते हैं कि मन्दी के निम्नतम बिन्दु पर व्याज दर भी न्यूनतम होती है। ठीक इसी प्रकार तेजी (Boom) के शिखर पर ब्याज दर न्यूनतम होनी चाहिए (कीन्स के अनुसार) क्योंकि उस दशा मे लोगों का तरलता अधिभाव कम होता है लेकिन व्यवहार में तेजी के शिखर पर ब्याज की
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