History, asked by bhardwajansh2006, 11 months ago

राजकुमारी कल्याणी कौन थी​

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Answered by veer25316
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मां भारती की सेविका: कल्याणी और बेला
कल्याणी और बेला अपने भाग्य पर ना तो इठला रही थीं और ना ही वे अपने भाग्य से रूष्टï थीं, अपितु जो अवसर उन्हें सौभाग्य से मिला था उसे वह मां भारती की सेवा का अनुपम अवसर मानकर चल रही थी। अत: इस अवसर को वह इसी रूप में प्रयोग करना चाहती थीं। वह कोई ऐसी युक्ति सोच रही थी कि जिससे हिंदुत्व की रक्षा हो सके और प्रतिशोध लेकर शत्रु को समाप्त करते हुए अपने शील और सतीत्व को भी बचाया जा सके।
….और अंत में उन्हें ऐसी युक्ति मिल ही गयी जो उनके सतीत्व को और मां भारती के सम्मान की रक्षा करा सके। बस अब इन दोनों महान पुत्रियों को अपनी योजना को क्रियात्मक स्वरूप देने मात्र की ही प्रतीक्षा थी।
गोरी बनना चाहता था इस्लाम का सबसे बड़ा सेवक
जब गोरी इन दोनों राजकुमारियों को भारत की सीमा से बाहर निकाल रहा था, तो उसके मन में इनके विषय में रह-रहकर यही विचार आ रहा था कि अब ये बेबस हैं, असहाय हैं, विवश हैं और अब इन्हें वही करना होगा जो मैं चाहूंगा। वह यह भी सोच रहा होगा कि जब मैं अपने काजी को हिंदुस्तान की लूट की ये सर्वोत्तम भेंट प्रस्तुत करूंगा तो काजी कितने प्रसन्न होंगे, और उनकी इस प्रसन्नता के प्रतिकार स्वरूप मुझे इस्लाम का सर्वोत्कृष्टï सेवक होने का सम्मान मिल जाएगा। यही सोचते-सोचते गोरी ने भारत की सीमाओं से गजनी की सीमाओं में प्रवेश किया। वह अपनी योजनाओं में व्यस्त था और भारत की ये महान पुत्रियां अपनी योजनाओं में व्यस्त थीं।
काजी को दी गयी सर्वोत्तम भेंट
अंत में गोरी ने गजनी शहर में प्रवेश किया। उसके प्रशंसकों ने उसका भव्य स्वागत किया। अगले दिन दरबार लगाया गया। काजी ने गोरी से पूछा कि हिंदुस्तान से क्या क्या लाये हो?
तब गोरी ने बड़ी प्रसन्नता के साथ काजी को भारत की लूट का विवरण प्रस्तुत किया। उसने बताया-”काजी साहब मैं हिंदुस्तान से सत्तर करोड़ दिरहम मूल्य के सोने के सिक्के, पचास लाख चार सौ मन सोना व चांदी, इसके जरीदार वस्त्र व ढाका की मलमल लूट कर गजनी की सेवा में लाया हूं। मंदिरों को लूटकर 17000 सोने व चांदी की मूर्तियां लायी गयीं हैं, 2000 से अधिक कीमती पत्थर की मूर्तियां व शिवलिंग को भी लाया गया है। उनके टुकड़े टुकड़े करके उनसे जामा मस्जिद की सीढिय़ां बनाने का हुक्म दे दिया गया है। आपके आदेशानुसार मंदिरों को आग से जलाकर भूमिसात कर दिया गया है और उनके स्थान पर मस्जिदों व सूफियों के मठों के भवन बनाने का कार्य आरंभ करा दिया गया है। ब्राह्मïणों और क्षत्रियों का वध कर दिया गया है और उनकी सुंदर औरतों व बच्चों को बंदी बनाकर गजनी लाया गया है।”
अंत में काजी ने अपने मन के उस व्याकुल करने वाले प्रश्न को भी गोरी से पूछ ही लिया कि आप हमारे लिए हिंदुस्तान से क्या लाये हो? गोरी ने काजी की मानसिकता को समझते हुए उसे बताया कि आपके लिए मैं हिंदुस्तान से कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री कल्याणी तथा दिल्ली के अधिपति रहे पृथ्वीराज चौहान की पुत्री बेला को लेकर आया हूं, जो कि अद्घितीय सुंदरी हैं।
काजी गोरी के इस उत्तर को सुनकर बड़ा प्रसन्न हुआ। उससे रहा नही गया, उसके भीतर उपजे काम देवता ने उसे घायल कर दिया था। अत: वह बड़ा व्यग्र हो उठा था और अपनी व्यग्रता को छिपाने का प्रयास किये बिना ही उसने गोरी से पूछ लिया कि उस बेहतरीन तोहफे को आप हमारे सामने कब पेश करोगे? गोरी ने कहा-”आपके हुक्म की देर है-काजी साहब।”
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