Hindi, asked by chhotep16661, 11 months ago

राजमुकुट' नाटक के अन्तिम यानी चतुर्थ अंक की कथा संक्षिप्त रूप में लिखिए।

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Answered by yashj3829
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rajmukut natak in hindi

मेवाड़ में राणा जगमल अपने वंश की मर्यादा का निर्वाह ना करते हुए सुरा-सुंदरी में डूबा हुआ था. अपने भोग-विलास एवं आनंद में किसी भी तरह की बाधा सहन नहीं करने वाला राणा जगमल एक क्रूर शासक बन गया था. उसने कुछ चाटुकारों के कहने पर निरपराध विधवा प्रजावती की नृशंस हत्या करवा दी. जिससे प्रजा में क्रोध की ज्वाला भड़क उठी. प्रजावती के शव को लेकर प्रजा राष्ट्रनायक चंदावत के घर पहुंची. इसी समय कुंवर शक्ति सिंह ने राणा जगमल के क्रूर सैनिकों के हाथों से एक भिखारिणी की रक्षा की. जगमल के कार्यों से खिन्न शक्तिसिंह को चंदावत ने कर्म-पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.

एक दिन जब जगमल राज्यसभा में आनंद मना रहा था, तो राष्ट्रनायक चंदावत वहां पहुंचे और जगमल को उसके घृणित कार्यों के प्रति सचेत करते हुए उसे प्रजा से क्षमा-याचना के लिए कहा. जगमल ने उनकी बात स्वीकार करते हुए उनसे योग्य उत्तराधिकारी चुनने के लिए कहा और अपनी तलवार और राजमुकुट उन्हें सौंप दिया.

राष्ट्रनायक चंदावत ने राणा प्रताप को जगमल का उत्तराधिकारी बनाया और उन्हें राजमुकुट एवं तलवार सौंप दी. प्रताप मेवाड़ के राणा बन गए अब सुरा-सुंदरी के स्थान पर शौर्य एवं त्याग भावना की प्रतिष्ठा हुई. प्रजा प्रसन्नतापूर्वक राणा प्रताप की

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