राजनीति की आदर्शवादी संकल्पना की चर्चा कीजिए।। 20 Marks question
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कहावत है कि जैसा पानी कुएं में होगा, वही बाल्टी में आएगा। निःसंदेह 1975 के बाद देश के राजनेताओं की सोच, प्रवृत्ति व उनके दृष्टिकोण में काफी नकारात्मक बदलाव आए1947 में आजादी मिलने के बाद से लेकर कमोबेश 1975 तक राजनेता चुनाव जीतने के लिए हर तरह के हथकंडे नहीं अपनाते थे। उन्हें अपने कृतित्व व जनता के लिए किए गए सेवाकार्य पर भरोसा था।
कालांतर में राजनेताओं ने किसी भी तरह से चुनाव जीतने को ही अपना साध्य बना लिया। वोट बैंक की जातिवादी राजनीति की पृष्ठभमि में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को राजनेताओं के करीब आने का मौका मिला। वही कुछ राजनेता जिन्हें खुद पर भरोसा नहीं था) भी येनकेनप्रकारेण (Byhook or by crook) चुनाव जीतने की प्रवृत्ति के आदी हो गए। मतपत्रों की लूट व मतदाताओं को डराधमका, मतदान से वंचित करने में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग काफी सहायक हो सकते थे। नतीजतन आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों की सियासत में शिरकत बढ़ने लगी ।
वहीं कतिपय नेतागण भी अपने प्रतिद्वंद्वियों को सबक सिखाने या उन्हें नीचा दिखाने के लिए ऐसे लोगों का इस्तेमाल करने लगे। दूसरी ओर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले ऐसे लोगों को कतिपय राजनीतिज्ञों से संरक्षण प्राप्त हुआ। नतीजतन बेखौफ हो अपनी कारस्तानियों को अंजाम देने लगे। राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों के प्रवेश पर नकेल लगाने के लिए निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने भी अपनी चिंता जताई है।
आयोग के दिशानिर्देश के अनुसार दोष सिद्ध (Convicted) व्यक्ति चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य है। पर इस क्रम में सुलगता सवाल यह है कि हमारे देश में किसी आपराधिक मामले के सिद्ध होने में भी वर्षों का समय लग जाता है, तब कहीं न्यायालय अपना फैसला सुना पाते हैं। इस समस्या के समाधान में राजनीतिक दलों को पहल करनी चाहिए।