राजनीतिक पार्टी और पार्टी प्रणाली के बीच अंतर को स्पष्ट करे? आज पार्टी प्रणाली के सामनेप्रमुख चुनौतियां क्या है
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राजनीतिक दल या राजनैतिक दल (Political party) लोगों का एक ऐसा संगठित गुट होता है जिसके सदस्य किसी साँझी विचारधारा में विश्वास रखते हैं या समान राजनैतिक दृष्टिकोण रखते हैं। यह दल चुनावों में उम्मीदवार उतारते हैं और उन्हें निर्वाचित करवा कर दल के कार्यक्रम लागू करवाने क प्रयास करते हैं।
विभिन्न देशों में राजनीतिक दलों की अलग-अलग स्थिति व व्यवस्था है। कुछ देशों में कोई भी राजनीतिक दल नहीं होता। कहीं एक ही दल सर्वेसर्वा (डॉमिनैन्ट) होता है। कहीं मुख्यतः दो दल होते हैं। किन्तु बहुत से देशों में दो से अधिक दल होते हैं। लोकतान्त्रिक राजनैतिक व्यवस्था में राजनैतिक दलों का स्थान केन्द्रीय अवधारणा के रूप में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। राजनैतिक दल किसी समाज व्यवस्था में शक्ति के वितरण और सत्ता के आकांक्षी व्यक्तियों एवं समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे परस्पर विरोधी हितों के सारणीकरण, अनुशासन और सामंजस्य का प्रमुख साधन रहे हैं। इस तरह से राजनैतिक दल समाज व्यवस्था के लक्ष्यों, सामाजिक गतिशीलता, सामाजिक परिवर्तनों, परिवर्तनों के अवरोधों और सामाजिक आन्दोलनों से भी सम्बन्धित होते हैं। राजनैतिक दलों का अध्ययन समाजशास्त्री और राजनीतिशास्त्री दोनों करते हैं, लेकिन दोनों के दृष्टिकोणों में पर्याप्त अन्तर है। समाजशास्त्री राजनैतिक दल को सामाजिक समूह मानते हैं जबकि राजनीतिज्ञ राजनीतिक दलों को आधुनिक राज्य में सरकार बनाने की एक प्रमुख संस्था के रूप में देखते हैं।
चुनौतियां
पहले मतदाता सूची में संशोधन के मुद्दे पर जूझने के बाद अब उसके समक्ष चुनाव में धन और बाहुबल के बढ़ते प्रभुत्व पर अंकुश लगाने, चुनावी आचार संहिता को कड़ाई से लागू करने और चुनावी धांधलियों को रोकने की कड़ी चुनौती है. कहने को तो देश के तमाम राजनीतिक दल खुद को पाक साफ बताते हुए विपक्ष पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन किसी भी दल का दामन चुनावी भ्रष्टाचार के छीटों से अछूता नहीं है. ऐसे में आयोग की चुनौती और कठिन हो गई है.
देश के तमाम राज्यों में चुनावी धांधलियों और उम्मीदवारों की ओर से चुनाव खर्च की तय सीमा का उल्लंघन आम है. आयोग हालांकि इन खर्चों पर निगाह रखने के लिए पूरे देश में हजारों पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है. बावजूद इसके इन पर पूरी तरह अंकुश लगाना संभव नहीं हो सका है. राजनीतिक दलों में चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले ही तमाम परियोजनाओँ के एलान की होड़ लग जाती है. राजनीति का अपराधीकरण बरसों से आयोग के लिए चिंता का विषय रहा है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने एक नया कानून बना कर दागियों के लिए कानून का निर्माता बनने का रास्ता साफ कर दिया है.