Social Sciences, asked by poonamrajchauhan31, 1 month ago

राजनीतिक प्रतिद्वंदिता क्या है ​

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Answered by dimpisonwani384
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गाजीपुर : नगरपालिका पिछले ढाई साल से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के द्वंद्व का अखाड़ा बना हुआ है। सूबे में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी से जुड़े सभासदों को भाजपा के नगरपालिका अध्यक्ष विनोद अग्रवाल नहीं सुहाते हैं। अध्यक्ष के उठाए हर कदम को शासनादेश की कसौटी पर कसा जाता है और रत्ती भर भी ऊंच-नीच मिलने पर शिकायत शासन स्तर तक की जाती है। उधर चेयरमैन अपने खिलाफ की गई हर शिकायत को साजिश करार देते हैं। हाल ही में जिला प्रशासन की जांच में दोषी ठहराए गए अध्यक्ष से नगर विकास सचिव द्वारा जवाब तलब किए जाने के बाद निष्कर्ष चाहे जो निकले पर जानकार इस सारे विवाद की मूल जड़ भ्रष्टाचार मानते हैं।

ढाई साल पहले पालिकाध्यक्ष के रूप में विनोद अग्रवाल ने शपथ लेते ही पहले से ही दबदबा बनाए ठेकेदारों को दरकिनार कर दिया। इससे वे बौखला गए और चेयरमैन के गलती करने का इंतजार करने लगे। प्रतिद्वंद्वी दल सपा के कुछ सभासद भी इस मुहिम में शामिल होकर पालिका अध्यक्ष के हर कार्य की निगरानी करने में जुट गए। इसी बीच दो अधिवक्ताओं की तैनाती , शपथ ग्रहण और वर्षगांठ समारोह में खर्च किए गए धन और कुछ कार्यो के टेंडर को मुद्दा बनाते हुए शिकायत नगर विकास मंत्री आजम खां तक कर दी गई। मंत्री ने चेयरमैन के भाजपा से जुड़े होने के चलते बिना देर किए शिकायत पर जांच बिठा दी। शिकायतकर्ता के सत्तारूढ़ दल से जुड़े होने के चलते जिला प्रशासन ने जांच में भी नहीं विलंब किया और आरोप को सही ठहराते हुए रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी। पालिकाध्यक्ष प्रशासनिक जांच पर ही सवाल खड़ा कर अपने दामन को पाक साफ और शिकायतकर्ताओं को भ्रष्टाचारी ठहराने पर तुले हैं तो दूसरा पक्ष उनको भ्रष्टाचार में लिप्त बता रहा। अब सबकी निगाह इस पर टिकी है कि चेयरमैन सचिव को अपने बचाव में क्या जवाब देते हैं और फिर वहां से क्या फैसला होता है

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