राजनीतिक सिद्धांत की किसी भी दो विशेषताओं को लिखें
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राजनीतिक-सिद्धांत की दो विशेषताएं :-
1. मूल्य-सापेक्ष – परम्परागत राजनीतिक-सिद्धांत में मूल्यों, आदर्शों व परम तत्वों को सर्वोपरि स्थान दिया गया है। प्लेटो का न्याय सिद्धांत, अरस्तु का मध्यम-प्रजातन्त्र, लॉक का प्राकृतिक कानून, रुसो की सामान्य इच्छा इसी प्रकार के हैं। परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत का निर्माण सिद्धांत निर्माताओं की मान्यताओं से हुआ है। इनके समक्ष आनुभाविक तथ्यों, जांच, प्रमाण तथा अवलोकन का कोई महत्व नहीं है। परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत ‘चाहिए’ प्रकृति का है। इसके अन्तर्गत राजनीतिक सिद्धांतकार हमेशा क्रियात्मक उद्देश्य को लेकर लिखते रहे हैं उनका उद्देश्य सुधार, समर्थन या विरोध करना रहा है। परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत में मूल्यों व मान्यताओं को इतना महत्व दिया गया है कि इससे राजनीतिक दर्शन राजनीतिक विज्ञान और राजनीति सिद्धांत का अन्तर ही समाप्त हो गया है।
2. समस्याओं का समाधान करने का प्रयास – परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत का संबंध समसामयिक समस्याओं के हल निकालने के प्रयासों से रहा है। प्लेटो का दार्शनिक राजा का सिद्धांत तत्कालीन यूनानी नगर-राज्यों में मौजूद अराजकता के वातावरण से छुटकारा पाने के लिए किया गया है। इटली की तत्कालीन स्थिति से छुटकारा पाने के लिए मैकियावेली ने भी अपने ग्रन्थ ‘The Prince’ से छल-कपट के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है। इससे स्पष्ट है कि परम्परागत सिद्धांत के चिन्तक व सिद्धांतकार तत्कालीन सामाजिक औरराजनीतिक समस्याओं के प्रति बड़े संवेदनशील रहे हैं। इसी कारण उन्होंने ऐसे सिद्धांतों का निर्माण किया जो तत्कालीन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने में सफल रहे।