राजनीतिक सिद्धांत क्या है?उसकी प्रासंगिकता बताइये
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राजनीतिक सिद्धांत....
राजनीति में राजनीतिक सिद्धांत राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचारधारा, राजनीतिक विश्लेषण, राजनीतिक व्यवस्था, राजनीतिक चिंतन आदि का समिश्रण है। राजनीतिक सिद्धांत राजनीतिक दर्शन का लिखित रूप में दस्तावेज है जो राजनीति करने के नियमों को परिभाषित करता है। अलग-अलग विद्वानों ने राजनीति सिद्धांत को अलग-अलग परिभाषा से परिभाषित किया है। एक विद्वान जेर्मिनों के अनुसार ‘राजनीतिक सिद्धांत माननीय सामाजिक अस्तित्व की उचित व्यवस्था के सिद्धांतों का आलोचनात्मक अध्ययन है,’ तो दूसरे विद्वान एन्ड्रयू हेकर के अनुसार ‘राजनीतिक सिद्धांत तथ्य और मूल्यों का सम्मिश्रण है जो एक दूसरे के पूरक है यानी कि राजनीतिक सिद्धांत शास्त्री एक वैज्ञानिक और एक दार्शनिक दोनों तरह की भूमिका को निभा सकता है। ’
राजनीतिक सिद्धांत की प्रासंगिकता....
राजनीतिक के सिद्धांत प्रासंगिकता बिल्कुल उसी तरह है, खाने में नमक की प्रासंगिकता है। राजनीतिक सिद्धांत सभी समूहों के लिए प्रासंगिक है। जरूरी नही कि जो राजनीति पढ़ें वो राजनीति में ही जाये।
हमारे अपने राजनीतिक आदर्श हो सकते हैं, पर क्या हमें राजनीतिक सिद्धांतों के अध्ययन की भी जरूरत है? क्या यह राजनीति करने वाले राजनेताओं के लिए या नीति बनाने वाले नौकरशाहों के लिए उपयोगी है।
क्या हम गणित नहीं पढ़ते, तो हम सभी गणित पढ़ते हैं पर हममे से सभी गणितज्ञ या इंजीनियर तो नहीं बन जाते। पर बुनियादी गणित का ज्ञान हमारे सामान्य जीवन में आवश्यक है और बुनियादी गणित हमारे जीवन में उपयोगी है।
यही बात राजनीति सिद्धांत संदर्भ में.है। राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन का उपयोग हर जागरूक नागरिक और विशेषकर एक लोकतांत्रिक देश के नागरिकों के लिये अत्यन्त उपयोगी है।
राजनीतिक सिद्धांत संविधान और कानूनों की व्याख्या करने वाले वकील या जज या उन कार्यकर्ताओं और पत्रकारों, बुद्धिजीवियों को पढ़ना चाहिए, जिनका संबंध लोकतांत्रिक मूल्यों से है और जो समाज को एस नई दिशा दे सकते हैं। ऐसे शिक्षित और सचेत नागरिक भी राजनीति करने वालों को जनाभिमुख बना देते हैं।
आशावादी, समानता, और धर्मनिरपेक्षता हमारे जीवन के अमूर्त मसले नहीं हैं। परिवारों, विद्यालयों, महाविद्यालयों, व्यावसायिक केंद्रों आदि में तरह-तरह के भेदभावों का हम प्रतिदिन सामना करते हैं। हम स्वयं भी अपने से भिन्न लोगों के प्रति पूर्वाग्रह रखते हैं, चाहे वे अलग जाति के हों या अलग धर्म के अथवा अलग लिंग या वर्ग के हों। यदि हम उत्पीड़ित महसूस करते हैं, तो हम पीड़ा का निवारण चाहते हैं और यदि उसमें विलंब होता है, तब हम महसूस करते हैं कि हिंसक क्रांति उचित है।
राजनीतिक सिद्धांत बस यही करता है कि वह हमें राजनीतिक चीजों के बारे में अपने विचारों और भावनाओं के परीक्षण के लिए प्रोत्साहित करता है। थोड़ी अधिक सतर्कता से देखने भर से हम अपने विचारों और भावनाओं में उदार होते जाते हैं।
छात्र के रूप में हम बहस और भाषण प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं। हमारी अपनी राय होती तो है कि क्या सही है और क्या गलत, क्या उचित है और क्या अनुचित।
हम नहीं जानते कि वे तर्कसंगत हैं या नही। जब हम दूसरे से बहस करते हैं, तभी हम अपने विचारों का बचाव करने की जरूरत महसूस करते हैं और इसके लिए तर्क और युक्तियाँ तलाशते हैं। राजनीतिक सिद्धांत हमें न्याय या समानता के बारे में सुव्यवस्थित सोच से अवगत कराते हैं, ताकि हम अपने विचारों को परिष्कृत कर सकें और सार्वजनिक हित में बुद्धिमत्ता से तर्क-वितर्क कर सकें। तर्कसंगत ढंग से बहस करने और प्रभावी तरीके से अपनी बात रखने का हुनर एक अच्छे समाज के लिये आदर्श नागरिक बनने के महत्त्वपूर्ण गुण साबित होते हैं।
अतः हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि राजनीतिक सिद्धांत की प्रासंगिकता राजनीति में बराबर बनी रहती है, और इसका अध्ययन राजनीति को समझने के लिये बेहद आवश्यक है।
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Explanation:
राजनीतिक सिद्धांत उन विचारों और नीतियों के व्यवस्थित रूप को प्रतिबिंबित करता है जिनसे हमारे सामाजिक जीवन सरकार और संविधान ने आकार ग्रहण किया है
राजनीतिक सिद्धांत में हम जीवन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करते हैं जैसे सामाजिक जीवन सरकार और संविधान स्वतंत्रता समानता न्याय लोकतंत्र धर्मनिरपेक्ष आदि
राजनीतिक सिद्धांत का मुख्य विषय राज्य में सरकार है यह स्वतंत्रता समानता न्याय व लोकतंत्र जैसे अवधारणाओं का अर्थ स्पष्ट करता है राजनीतिक सिद्धांत का उद्देश्य नागरिकों को लोकतांत्रिक प्रश्नों के बारे में तर्कसंगत ढंग से सोचने और सामाजिक राजनीतिक घटनाओं को सही तरीके से आपने का परीक्षण देना है गणित के विपरीत जहां त्रिभुज या वर्ग की निश्चित परिभाषा होती है राजनीतिक सिद्धांत में हम समानता आजादी अन्याय की अन्य परिभाषाएं से रूबरू होते हैं