राजनीति धर्म को किस प्रकार से प्रभावित करती हैं
Answers
Explanation:
नई दिल्ली। धर्म का कार्य है लोगों को सदाचारी और प्रेममय बनाना और राजनीति का उद्देश्य है लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुये उनके हित में काम करना. जब धर्म और राजनीति साथ-साथ नहीं चलते, तब हमें भ्रष्ट राजनीतिज्ञ और कपटी धार्मिक नेता मिलते हैं.एक धार्मिक व्यक्ति, जो सदाचारी और स्नेही है, अवश्य ही जनता के हित का ध्यान रखेगा और एक सच्चा राजनीतिज्ञ बनेगा एक सच्चा राजनीतिज्ञ केवल सदाचारी और स्नेही ही हो सकता है, इसीलिए उसे धार्मिक होना ही है। परन्तु राजनीतिज्ञ को इतना भी धार्मिक न होना है जो दूसरे धर्मों की स्वतन्त्रता और उनकी विधियों पर बंदिश लगाये। राजनीति और धर्म दोनों ही हर वर्ग के जीवन को प्रभावित करने वाले विषय है जो कभी भी एक दूजे से अलग न होसकते मगर राजनीति की दशा और दिशा के बारे में सोच बदलने की आवश्यकता है।
plz mark me as a brainlist
राजनीति का धर्म पर निम्नलिखित प्रकार से प्रभाव पड़ता है।
• भारत में सांप्रदायिक राजनीति का प्रारंभ ब्रिटिश काल में ही हो गया था, क्योंकि अंग्रेज भारत में " फूट डालो, राज करो" की अपनी नीति के तहत हिन्दू व मुसलमानों को लड़ाते रहे और यहां शासन करते रहे।
• उनकी इस कूटनीति का परिणाम अगस्त 1947 में भारत के विभाजन में दिखाई दिया।
• 1976 में 42 वे संविधान अधिनियम संशोधन में भारत की धर्म निरपेक्ष राज्य घोषित किया गया परन्तु इसके बावजूद भी भारत में साम्प्रदायिकता जारी रही। सांप्रदायिकता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि देश को स्वतंत्रता मिलने के 40 वर्षों के अंदर देश में लगभग 5000 सांप्रदायिक घटनाएं घटी।
• 1992 में अयोध्या में हुई घटना ने तो संपूर्ण देश की अपनी चपेट में ले लिया।
• पिछले कुछ वर्षों से तो साम्प्रदायिकता भारतीय राजनीति पर पूरी तरह से छा गई है।