Hindi, asked by beingjatinsharma, 11 months ago

राजर्षि टंडन अंग्रेजी के लिए पन्द्रह वर्ष की छूट देना क्यों नहीं
चाहते थे?

Answers

Answered by bhatiamona
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राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन अंग्रेजी को 15 वर्ष की छूट इसलिए नहीं देना चाहते थे, क्योंकि उनके विचार में यदि अंग्रेजी को 15 वर्ष की तक चलाने की छूट और दे दी गई तो अंग्रेजी का प्रचलन बढ़ जाएगा और हिंदी भाषा पीछे छूट जाएगी। उस समय कांग्रेस के ही एक अन्य नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अंग्रेजी को 15 वर्ष तक और चलाने की छूट चाहते थे। राजर्षि टंडन जी को अंदेशा था कि अंग्रेजी को इस तरह छूट देने से लोग फिर  हिंदी भाषा का विकास नहीं हो पाएगा और लोग अंग्रेजी को प्रयोग करने के आदी हो जाएंगे।

उनकी बात नहीं मानी गई और उस समय की सरकार ने 15 वर्ष तक अंग्रेजी भाषा को चलाए रहने का निर्णय लिया और वही हुआ, जिसका राजर्षि टंडन को था। 15 वर्ष की अवधि के दौरान अंग्रेजी भाषा का प्रभाव बढ़ता गया और हिंदी का विकास नहीं हो पायाय़ इसी बीच टंडन जी का भी स्वर्गवास हो गया और फिर हिंदी के मजबूत समर्थन के लिए कोई खड़ा नहीं हो पाया और हिंदी भाषा की स्थिति दयनीय होती गई। यही कारण है कि आज हिंदी भाषा अंग्रेजी के मुकाबले पिछड़ती गई और हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल पाया।

Answered by priyanshuemperor
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Explanation:

राजश्री टंडन जी अंग्रेजी के लिए 15 वर्ष की छूट इसलिए नहीं देना चाहते थे क्योंकि उन दिनों अंग्रेजों पर उनकी पकड़ भी नेहरू से अधिक थी नेहरू जी 10 वर्ष अंग्रेजी बनी रहने का हर्ट करने लगे इधर टंडन जी टस से मस न हो रहे थे ऐसे बालकृष्ण शर्मा नवीन तथा सेठ गोविंद दास ने टंडन जी के चरण पकड़ ली और उनसे पंडित नेहरू की 10 साल अंग्रेजी बने रहने की हट मान लेने की प्रार्थना की और कसम खाकर कहा कि 15 साल के बाद अंग्रेजी को वोट नहीं देने देंगे मानने को राजी हो गए अंग्रेजी को 15 साल की छूट दे दी गई या 15 वर्ष सन् 1965 में पूरे होते हुए उससे पूर्व राशि टंडन और बालकृष्ण शर्मा नवीन स्वर्गवास हो गए अकेले सेठ गोविंद दास बजे नेहरु जी ने सन् 1965 के बाद अंग्रेजी बने रहने का विधेयक लोकसभा में पास कराया और समस्त कांग्रेस सदस्यों को इसके पक्ष में मतदान करने का सचेतक भी जारी किया अकेले सेठ गोविंददास को उनकी प्रतिज्ञा का विचार करके इस सचेतक से छूट दी गई यही कारण था कि राशि टंडन जी नहीं चाहते थे कि अंग्रेजी को 15 वर्ष की छूट मिले क्योंकि वह जानते थे कि इसके बाद नेहरू जी और जिद करेंगे अंग्रेजी को भारत में रखने के लिए।

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