राजस्थान के राइका समुदाय की जीवन प्रणाली
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राइका समुदाय
मुख्य रूप से यह जाती रबारी, रैबारी राईका, गोपालक, मालधारी एव देवासी के नाम से जानेवाली यह एक अति प्राचीन जाती है। खेती और पशुपालन भारतीय लोगो का मुख्य व्यवसाय रहा है। इस जाती के लोग भी इसी व्यवसाई से जुड़े हुए लोग है। रैबारी'उत्तर भारत की एक प्रमुख एव प्राचीन जनजाति है।भाट,चारण और वहीवंचाओ के ग्रंथो के आधार पर, मूल पुरुष को 12 लडकीयां हुई और वो 12 लडकीयां का ब्याह 12 क्षत्रिय कुल के पुरुषो साथ कीया गया! जो हिमालयके नियम बहार थे, सोलाह की जो वंसज हुए वो रबारी और बाद मे रबारी का अपभ्रंश होने से रेबारी के नाम से पहचानने लगे,बाद मे सोलाह की जो संतति जिनकी बढा रेबारी जाति अनेक शाखाओँ (गोत्र) मेँ बंट गयी। वर्तमान मेँ 133 गोत्र या शाखा उभर के सामने आयी है जिसे विसोतर के नाम से भी जाना जाता है ।
देवासी समाज का इतिहास (History of Dewasi Samaaj)
रबारी भारत की प्रमुख जन-जाति है। भारत मेँ इस जाति को मुख्य रूप से रेबारी, राईका, देवासी, देसाई, धनगर, पाल, हीरावंशी या गोपालक के नाम से पहचाना जाता है, यह जाति राजपूत जाति से निकल कर आई है, ऐसा कई विद्वानोनो का मानना है। यह जाति भली-भोली और श्रद्धालु होने से देवो का वास इसमे रहता है, या देवताओं के साथ रहने से इसे देवासी के नाम से भी जाना जाता है। भारत मेँ रेबारी जाति मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उतरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि राज्योँ मेँ पायी जाती है| विशेष करके उत्तर, पश्विम और मध्य भारत में। वैसे तो पाकिस्तान में भी अंदाजित 10000 रेबारी है।
निवास क्षेत्र
मुख्यत:रैबारी जाति भारत के गुजरात , राजस्थान ,हरियाणा ,पंजाब ,मध्यप्रदेश , नेपाल और पाकिस्तान मैं भी निवास करती है। इनको अलग- अलग नामों से जाना जाता है। राजस्थान के पाली, सिरोही ,जालोर जिलों में रैबारी दैवासी के नाम से जाने जाते हैं। उत्तरी राजस्थान जयपुर और जोधपुर संभाग में इन्हें 'राईका' नाम से जाना जाता है हरियाणा और पंजाब में भी इस जनजाति को राईका ही कहा जाता है। गुजरात और मध्य राजस्थान में इन्हें देवासीरैबारी,रबारी देसाई मालधारी और हीरावंशी नाम से भी पुकारा जाता है।
रैबारी लोगो के प्रमुख त्यौहार नवरात्री, दिवाली, होली और जन्माष्ठमी है। भारत मैं करीब 1 करोड़ से भी ज्यादा की इनकी जनसंख्या है। पशुपालन ही इनका प्रमुख व्यवसाय रहा था। राजस्थान और कच्छ प्रदेश मैं बसने वाले रबारी लोग उत्तम कक्षा के ऊटो को पालते आए है। तो गुजरात और उत्तर प्रदेश के रैबारी गाय,भेस,भेड़ और बकरियां जैसे पशु भी पालते है। गुजरात, उत्तर प्रदेश और सौराष्ट्र के रबारी लोग खेती भी करते है। मुख्यत्व पशुपालन और खेती इनका व्यवसाय था पर बारिश की अनियमित्ता, बढते उद्योग और ज़मीन की कमी की वजह से इस जाति के लोगों ने अन्य व्यवसायों को अपनाया है। पिछले कुछ सालो मैं शैक्षणिक क्रांति आने की वजह से इस जाति के लोगों के जीवन मैं काफी बदलाव आया है। सामाजिक, राजकीय और सिविल सर्विसिस मैं यह जाती के लोग काफी आगे बढ़ रहे हैं बहुत सारे रैबारी जाति के लोग विदेशों में भी रहते है।
भोजन
रेबारी, राइका, देवासी जाति का मुख्य काम पशुपालन का है तो ये इनका भोजन मुख्य रूप से दूध, दही, घी, बाजरी की रोटी (होगरा) भड़िया, राबोडी की सब्जी, के साथ देशी सब्जियों सहित शुद्ध शाकाहारी भोजन करते है। मारवाड़ के रेबारी शिक्षित होने के कारण उनकी जीवनशैली मे कुछ परिवर्तन आया है, ये अब शिक्षा के क्षेत्र मे ज़्यादा सक्रिय है।
वस्त्र
सीर पर लाल पगड़ी, श्वेत धोती और श्वेत कमीज ओरते-चुनङी,घाघरा,कब्जा(blouse)पहनती है
समाज
रैबारी की अधिकांश जनसंख्या राजस्थान के जालोर एवम् सिरोही -पाली एव बाँसवाड़ा बाडमेर भीलवाड़ा चित्तौड़गढ़ ज़िलों में है। एव कुछ डूंगरपुर उदयपुर मैं भी निवासरत है।
राजस्थान की राईका जनजाति:- मुख्य रूप से यह जाति रैबारी , रबारी ,राईका , गोपालक , मालधारी एवं देवदासी के नाम से भी जानी जाती है ।
- यह एक अति प्राचीन जाति है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि खेती और पशुपालन भारतीय लोगों का मुख्य व्यवसाय है।
- इस जाति के लोग भी इसी व्यवसाय से जुडें हुए लोग हैं रैबारी उत्तर भारत की एक प्रमुख एवं प्राचीन जनजाति है।
- राजस्थान के रेगिस्तान में राईका समुदाय रहता था। इस इलाके में बारिश का कोई भरोसा नहीं था।
- यदि बारिश होती भी थी तो बहुत कम। इसलिए खेती की उपज हर साल घटती -बढती रहती थी।
- रबारी लोग मुख्यत: भारत के गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, और पाकिस्तान के निवासी हैं।
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