राजस्थान के उन 3 राजाओं के नाम का उल्लेख कीजिए जिन्होंने अट्ठारह सत्तावन ईसवी की क्रांति में क्रांतिकारियों का सहयोग किया
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राजस्थान के उन 3 राजाओं के नाम का उल्लेख कीजिए जिन्होंने अट्ठारह सत्तावन ईसवी की क्रांति में क्रांतिकारियों का सहयोग किया
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राजस्थान के राजाओ के नाम निम्न प्रकार है जिन्होंने १८५७ की क्रांति में मदद की थी। जयपुर के महाराजा सवाई २ का योगदान उल्लेखनीय रहा है। मेवाड़ जिले के सलूम्बर और कोठारिया ने देश की मदद की थी। राजा कुशाल सिंह ने भी इस क्रांति में अपना योगदान दिया था।
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Step : 1राजस्थान की छ: सैनिक छावनियों में से खैरवाड़ा तथा व्यावर सैनिक छावनियों ने क्रांति में भाग नहीं लिया था।
1857 की क्रांति में बीकानेर के अमरसिंह बांठिया, प्रथम राजस्थानी व्यक्ति थे जिन्हें फांसी दी गई।
राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम का भामाशाह दामोदर दास राठी को कहा जाता है। भचूंडला (प्रतापगढ़) नामक स्थान पर 'वीरों का स्मारक स्तंभ' बना हुआ है।
'द म्यूटिनी इन राजस्थान' नामक पुस्तक प्रीचार्ड द्वारा लिखी गई। अंग्रेजों ने निम्बाहेड़ा पर अधिकार कर टोंक निवासी ताराचंद जो निम्बाहेड़ा का मुख्य पटेल था, को तोप से उड़ा दिया था।
धौलपुर में विद्रोह राज्य से बाहर के सैनिकों ने किया था तथा उसे दबाने भी बाहर के सैनिक आये थे।
रेबारी समुदाय के लोग मैकमोसन की कब्र पर पूजा अर्चना करते है।
जयपुर के महाराजा रामसिंह द्वितीय द्वारा की गई सहायता से प्रसन्न होकर अंग्रेजों ने इन्हें स्थायी रूप से कोटपुतली का परगना प्रदान किया।
Step : 21857 की क्रांति राजस्थान की रियासतों ने मराठों के आक्रमण से मुक्ति पाने तथा अपने राज्यों की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए 1818 ई. में अंग्रेजों के साथ संधियाँ सम्पन्न की। धीरे-धीरे अंग्रेजों ने राज्यों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना प्रारंभ कर दिया।
लॉर्ड डलहौजी ने राज्य की विलय की नीति के तहत सर्वप्रथम 1848 ई. में सतारा को तथा उसके बाद 1856 ई. तक नागपुर, झांसी, बरार, अवध आदि रियासतों का विलय ब्रिटिश साम्राज्य में कर लिया। अंग्रजों द्वारा परम्परागत रीति-रिवाजों को समाप्त करने, इसाई धर्म के प्रचार करने तथा सामाजिक सुधार करने के प्रयासों ने यहाँ के जनमानस को भी नाराज कर दिया।
इस प्रकार रियासतों के राजाओं तथा यहाँ की जनता में ब्रिटिश साम्राज्य के विरोध में लहर चल पड़ी। चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग को 1857 की क्रांति का तात्कालीक कारण माना जाता है।
1857 में ब्राउन बैस के स्थान पर 'एनफील्ड रायफल' का प्रयोग शुरू हुआ। इस रायफल के बारे में भारतीय सैनिकों में यह अफवाह फैली कि इनमें लगने वाले कारतूसों में गाय तथा सूअर की चर्बी लगी होती है।
Step : 3कारतूस का प्रयोग करने से पूर्व उसके खोल को मुंह से उतारना पड़ता था जिससे हिंदू तथा मुस्लिमों का धर्म भशष्ट होता है। परिणाम स्वरूप 1857 का विद्रोह प्रारंभ हुआ।
राज स्ताह में १९ देशी रियासत पाई गई थी जबकि पुरे भारत में ५६२ देशी रियासते थी।
राजस्थान के राजाओ के नाम निम्न प्रकार है जिन्होंने १८५७ की क्रांति में मदद की थी।
जयपुर के महाराजा सवाई २ का योगदान उल्लेखनीय रहा है।
मेवाड़ जिले के सलूम्बर और कोठारिया ने देश की मदद की थी।
राजा कुशाल सिंह ने भी इस क्रांति में अपना योगदान दिया था।
राजस्थान का योगदान इस क्रान्ति में हम इतिहास में कभी नहीं भूलेंगे।
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