राजस्थान में जल-संग्रह के लिए बनी कुंई किसी वैज्ञानिक खोज से कम नहीं है।” तर्क सहित कथन की पुष्टि कीजिए?
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hey!.
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☆उत्तर:☆-
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आवश्यकता आविष्कार की जननी है। यह कथन राजस्थान की कुंई पर पूरी तरह सत्य सिद्ध होता है। जहाँ जल की जितनी कमी है वहीं इसे खोजने और संग्रह करने के अनेक तरीके खोज निकाले गए हैं। इसी प्रक्रिया में कुंई एक वैज्ञानिक खोज है। मरुभूमि के भीतर खड़िया की पट्टी को खोजना और उसे सतह के पानी को ऊपर लाना बड़ा दुर्गम कार्य है।
☆पट्टी खोजने में भी पीढ़ियों का अनुभव काम आता है। कभी तो गहरे कुएँ खोदते समय इसकी जानकारी मिल जाती है पर कभी वर्षा के बाद पानी का रेत में न बैठना भी इसकी जानकारी देता है। कुंई के जल को पाने के लिए मरुभूमि के समाज ने खूब मंथन किया है। अपने अनुभवों को व्यवहार में उतारने का पूरा शास्त्र विकसित किया है।
☆दूसरा बड़ा वैज्ञानिक प्रक्रियावाला उदाहरण है-कुंई को खोदना इसमें चेजारों के कुंई खोदते समय दमघोंटू गरमी से छुटकारा पाने के लिए ऊपर से रेत फेंकना अनुभव विज्ञान ही तो है। तीसरी बात है- कुंई की चिनाई जो पत्थर, ईंट, खींप की रस्सी अथवा अरणी के लट्ठों से की जाती है।
☆ राजस्थान के मूल निवासियों की इस वैज्ञानिक खोज ने अब आधुनिक समाज को चमत्कृत कर दिया है। आज पूरा देश जल की कमी को पूरा करने के लिए राजस्थान को मार्गदर्शक मान रहा है।
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कक्षा : ग्यारह
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पाठ : राजस्थान की रजत बूँदे
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लेखक : अनुपम मिश्र
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राजस्थान में जल - संग्रह के लिए बनी कुंई किसी वैज्ञानिक खोज से कम नहीं है। कुंई निर्माण से राजस्थान में जल संग्रह करना आसान हो गया है। कुंई की खासियत यह है कि कुँओं के मुकाबले उसका व्यास चार - पांच हाथ का होता है और गहराई 30 - 60 हाथ की होती है। वहीं कुँओं की गहराई लगभग कुंई के बराबर होती है, पर उसका व्यास 15 - 20 हाथ का होता है।
खड़िया पट्टी एक अलग ही संरचना है जिससे धरातल का पानी भाप बनकर उङ नहीं पाता और जमीन की रेत के अंदर ही संरक्षित रहता है। वहीं पालरपानी, रेजाणीपानी और पातालपानी पानी बचाव के लिए कुंई की परतों के लिए नाम दिया गया है।
कुंई का व्यास काम होने की वजह से पानी भाप बनकर उड़ नहीं पाता और राजस्थान की रेत में मौजूद नमी को पानी के रूप में बदलने के लिए भी बहुत सुलभ है। कुंई का मुँह छोटा होने की वजह से उसे ढककर रखना आसान होता है जिससे पानी संरक्षित और साफ रहता है।
आज के वैज्ञानिक युग में कुंई की खोज कोई सामान्य खोज नहीं है। जहाँ आज पानी की किल्लत है, वहां कुंई राजस्थान जैसे स्थानों के लिए वरदान है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों का सावधानी से प्रयोग करके ही पानी की समस्या का समाधान किया जा सकता है। राजस्थान के अतिरिक्त दक्षिण भारत के कई राज्यों में इस दिशा में काम हो रहा है। दक्षिण भारत में कई राज्यों में विशाल पथरीले जलाशयों में पानी एकत्र किया जाता है।