राजस्थान में क्षेत्रीय विषमताओं को समझाइए।
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इसका प्रयोग प्रायः प्रान्तों की आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाने के लिये किया जाता है । कृषि वृद्धि एवं औद्योगिक विकास की अन्तर्राज्य असमानताओं के स्तर ने प्रति व्यक्ति आय की भिन्नताओं में योगदान किया है । पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों ने सिंचाई के अधीन अधिक क्षेत्र तथा उर्वरकों के उच्च स्तरीय प्रयोग के कारण कृषि उत्पादन की उच्च दर प्राप्त की है । बिहार की प्रति व्यक्ति आय बहुत नीची है और हरियाणा की सबसे ऊंची । क्षेत्रीय असमानताएं घटने की बजाए बढ़ रही हैं ।
Indicator #2. निर्धनता रेखा से नीचे जनसंख्या (Population below Poverty Line):
निर्धनता रेखा से नीचे की जनसंख्या भी क्षेत्रीय असन्तुलन और असमानताओं का निर्माण करती है । वर्ष 2011-12 में निर्धनता रेखा से नीचे लोगों की प्रतिशतता 8.10% हिमाचल प्रदेश तथा 33.1% बिहार में थी । ग्रामीन क्षेत्रों में गरीबी 25.7% ओर शहरों में 13.7% है और समग्र भारतीय गरीबी 721.9% है ।
Indicator # 3. विद्युतीकरण (Electrification):
विकास के लिये विद्युत एक आवश्यक पूर्वापेक्षा है तथा वे प्रान्त जहाँ विकास प्रक्रिया ठीक नहीं है उनके तीव्र विकास में अड़चनें पड़ती हैं । हरियाणा और पंजाब में शतप्रतिशत विद्युतीकरण प्राप्त किया जा चुका है, परन्तु असम, बिहार, राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश इस क्षेत्र में अभी भी पीछे हैं ।
Indicator # 4. प्रति व्यक्ति कृषि उत्पादन (Agriculture Output per Capita):
कृषि उत्पादन की पैदावार और तकनीकें भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न हैं । पंजाब और हरियाणा के प्रान्तों ने कृषि उत्पादन में उन्नति की है । जबकि आसाम, उडीसा और नागालैण्ड जैसे प्रान्त अब भी बैलगाड़ी के युग में उत्पादन की प्राचीन विधियों और पिछड़ी हुई कृषि में रहते हैं ।
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