राजस्थान में राजनैतिक चेतना के प्रसार में समाचार पत्रों व साहित्य का योगदान स्पष्ट कीजिये।
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डॉ मनोज चतुर्वेदी
राजस्थान ऐतिहासिक रूप से वीर महिलाओं की गाथाओं से भरा राज्य है. फिर भी वर्तमान संदर्भ में पितृसत्ता, सामंती मानसिकता और रुढ़िवादी प्रथागत कानूनों के कारण प्राय: यह राज्य महिलाओं की स्वस्थ जीवन की तस्वीर पेश करने में असफल रहता है.
राजस्थान में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या 6,86,21,012 थी. इसमें से महिला जनसंख्या 3,30,00,926 थी .राजस्थान में साक्षरता का प्रतिशत 67.06 प्रतिशत रहा है. राजस्थान में पुरुष साक्षरता जहां 80.51 प्रतिशत है .वहीं स्त्री साक्षरता 52.66 प्रतिशत है. राजस्थान में कोटा जिले में सर्वाधिक महिला साक्षरता है .यहां स्त्री साक्षरता 62.32 प्रतिशत है .वहीं जालौर जिला में मात्र 38.73% ही महिलाएं साक्षर हैं.
लिंगानुपात, साक्षरता ,स्वास्थ्य, रोजगार ,आदि विभिन्न क्षेत्रों में राजस्थान की महिलाओं की स्थिति में सन 1991 की तुलना में काफी सुधार देखने में आया है. यहां प्रति हजार पुरुषों पर 922 महिलाएं हैं .जटिल सामाजिक -आर्थिक स्थिति वाले इस राज्य में महिलाओं की बढ़त अच्छी खबर है .
फिर भी सांस्कृतिक परंपराओं और वीरता के महाकाव्य कथाओं के किवदंती रहे, इस राज्य के महिलाओं की पिछड़ी स्थिति अपने अस्तित्व का नेतृत्व चाहती है .राजस्थान में लड़कियों और महिलाओं के खराब स्वास्थ्य और शिक्षा, सामाजिक भेदभाव ,दमन, गरीबी और अभाव से निहायत पीड़ित महिलाओं का औसत 64.64 प्रतिशत तक रहा है.
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