History, asked by Chakresh936, 10 months ago

राजस्थानी राज्यों की प्रमुख रियासतों की क्या-क्या समस्याएँ थीं?

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30मार्च को राजस्थान अपना65वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। राजस्थान का अपना गौरवमयी इतिहास स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।dainikbhaskar.comइस मौके एक विशेष सीरीज के तहत आपको आज बताने जा रहा है देश की आजादी के बाद रियासतों का जब भारत में विलय किया जा रहा था उस समय राजस्थान के विलय में क्या-क्या समस्याएं आई। किस कारण से राजस्थान का भारत में विलय सात चरणों में हुआ। जयपुर। राजस्थान30मार्च1949को भारत का एक ऐसा प्रांत बना,जिसमें तत्कालीन राजपूताना की ताकतवर रियासतें विलीन हुई। भरतपुर के जाट शासक ने भी अपनी रियासत का विलय राजस्थान में किया था। राजस्थान शब्द का अर्थ है-'राजाओं का स्थान'क्योंकि यहां गुर्जर,राजपूत,मौर्य,जाट आदि ने पहले राज किया था। भारत के संवैधानिक इतिहास में राजस्थान का निर्माण एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। ब्रिटिश शासकों द्वारा भारत को आजाद करने की घोषणा करने के बाद जब सत्ता हस्तांतरण का काम चल रहा था तब यह सोचा जा रहा था कि आजाद भारत का राजस्थान प्रांत बनना और राजपूताना के तत्कालीन हिस्से का भारत में विलय एक मुश्किल काम होगा। आजादी की घोषणा के साथ ही राजपूताना के देशी रियासतों के मुखियाओं में स्वतंत्र राज्य में भी अपनी सत्ता बरकरार रखने की होड़-सी लगी थी। उस समय वर्तमान राजस्थान की भौगालिक स्थिति को देखें तो राजपूताना के इस भूभाग में कुल बाईस देशी रियासतें थी। इनमें एक रियासत अजमेर मेरवाडा प्रांत को छोड़ कर शेष देशी रियासतों पर देशी राजा-महाराजाओं का ही राज था। अजमेर-मेरवाडा प्रांत पर ब्रिटिश शासकों का कब्जा था।इस कारण यह तो सीघे ही स्वतंत्र भारत में आ जाती,मगर शेष इक्कीस रियासतों का विलय कर राजस्थान'नामक प्रांत बनाया जाना था। सत्ता की होड़ के चलते यह बडा ही दूभर काम लग रहा था। इन देशी रियासतों के शासक अपनी रियासतों के स्वतंत्र भारत में विलय को दूसरी प्राथमिकता दे रहे थे। उनकी मांग थी कि वे सालों से खुद अपने राज्यों का शासन चलाते आ रहे हैं,उन्हें इसका दीर्घकालीन अनुभव है,इस कारण उनकी रियासत को'स्वतंत्र राज्य'का दर्जा दे दिया जाए।18मार्च1948को शुरू हुई राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया कुल सात चरणों में एक नवंबर1956को पूरी हुई। इसमें भारत सरकार के तत्कालीन देशी रियासत और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वीपी मेनन की भूमिका महत्वपूर्ण थी। आगे की स्लाइड में पढ़े - क्या हुआ पहले चरण में.

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