राजस्व राशि की अदायगी में जमींदारों की असफलता के क्या कारण थे
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ये जमींदार द्वारा राजस्व की बढ़ी राशि का विरोध करते थे तथा गाँव की रैयत को अपने पक्ष में एकजुट कर लेते थे। (जिससे रैयत जानबूझकर जमा करने में देरी कर देती थी) इस कारण और कभी-कभी जमींदार तय की नई तारीख को निश्चित राजस्व की राशि नहीं दे पाते थे तो नीलाम के समय बेची जाने वाली जमीनों को अधिकतर ये ही 'जोतदार' खरीद लेते थे।
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ये जमींदार द्वारा राजस्व की बढ़ी राशि का विरोध करते थे तथा गाँव की रैयत को अपने पक्ष में एकजुट कर लेते थे। (जिससे रैयत जानबूझकर जमा करने में देरी कर देती थी) इस कारण और कभी-कभी जमींदार तय की नई तारीख को निश्चित राजस्व की राशि नहीं दे पाते थे तो नीलाम के समय बेची जाने वाली जमीनों को अधिकतर ये ही 'जोतदार' खरीद लेते थे।
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