राजदरबार मे जगह न मिलने पर इंग्लैंड का विद्वान अपने भाग्य को क्यो सराहता रहा
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¿ राजदरबार मे जगह न मिलने पर इंग्लैंड का विद्वान अपने भाग्य को क्यो सराहता रहा ?
✎... राज दरबार में जगह ना मिलने पर इंग्लैंड का विद्वान अपने भाग्य को इसलिए सराहता क्योंकि इससे उसे अपनी आध्यात्मिक उन्नति करने के लिये कुसंगति से बचने का अवसर मिल गया।
वह राज दरबार में जगह न मिलने पर बुरी संगति से दूर रहा, इस कारण उसे अपने आध्यात्मिक उन्नति में बाधा नहीं पहुंची। राज दरबार के दरबारी चापलूस और अवगुणों से युक्त थे, यह सारे अवगुण उसकी आध्यात्मिक उन्नति में बाधक थे। इस तरह राज दरबार में जगह ना मिलने पर उसे लाभ ही हुआ और वह अपने भाग्य को सराहता रहा।
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