रिक्शेवाले के चेहरे पर घृणा का भाव क्यों उभर आया ? लिखिए।
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प्रश्न :- रिक्शेवाले के चेहरे पर घृणा का भाव क्यों उभर आया ? लिखिए ।
उतर :-
" सड़क का आदमी " नामक लघुकथा में , राघव सरकार एक दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति थे जो हमेशा अपना काम स्वयं करते थे और कभी किसी की मदद लेना स्वीकार नहीं करते थे l एक बार जब वो भरी धूप में पैदल जा रहे थे तब उनके पास एक रिक्शा वाले ने आ कर रिक्शा में बैठने का अनुग्रह किया l राघव सरकार ने साफ मना कर दिया क्योंकि वह मानते थे कि कोई बेकार व्यक्ति ही दूसरों से अपना बोझ ढूलवाएगा l परंतु गर्मी में उस गरीब और असहाय रिक्शा वाले पर दया करके उन्होंने कहा ठीक है रिक्शा चलाओ और उसके साथ ही पैदल चलने लगे l अपने स्थान पर पहुंच कर जब उन्होंने उसे रिक्शा का छह पैसे किराया दिया तो रिक्शा वाले ने पूछा की आप तो रिक्शा में बैठे ही नहीं फिर किराया किस बात का l तब राघव सरकार ने कहा कि वह रिक्शा में नहीं चढ़ते क्योंकि यह पाप है l यह सुनकर रिक्शेवाले के चेहरे पर घृणा का भाव उभर आया क्योंकि राघव सरकार ने एक गरीब की मेहनत की रोजी रोटी के कमाई के साधन का अपमान किया l रिक्शा वाला भी आत्मसम्मान के साथ बिना पैसे लिए यह कह कर चला गया कि "वह भी भीख नहीं लेता l"
इस कथा से हमें शिक्षा मिलती है कि, कभी भी किसी गरीब की मेहनत का अपमान नहीं करना चाहिए और कोई भी मेहनत से किया गया काम छोटा नहीं होता l
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¿ रिक्शेवाले के चेहरे पर घृणा का भाव क्यों उभर आया? लिखिए।
✎... रिक्शा वाले के चेहरे पर घृणा का भाव इसलिए भर आया था, क्योंकि राघव सरकार ने उससे कहा कि वह रिक्शे पर इसलिए नहीं चढ़ते, क्योंकि वह रिक्शे पर चढ़ना पाप समझते हैं। यह बात सुनकर रिक्शे वाले के चेहरे पर घृणा का भाव उभर आया और वह चेहरे का पसीना पोंछता हुआ चला गया।
राघव सरकार उसे उसकी छह आने की मजदूरी देते रहे, लेकिन उसने यह कहकर कि वह भीख नहीं लेता, यह कह कर पैसे लेने से मना कर दिया।
राघव सरकार मानव द्वारा खींचे जाने वाले रिक्शे पर इसलिए नहीं चढ़ते थे, क्योंकि वे इसे अमानवीय मानते थे। इसी कारण रिक्शेवाले द्वारा रिक्शा कर लेने की बात पर वह उसकी भलाई हेतु ताकि उसकी कुछ कमाई हो जाए इसलिये उसका रिक्शा तो किराये पर कर लिया, लेकिन उस पर चढ़े नहीं और उसके साथ ही पैदल चलते रहे।
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