रिक्षावाले पर निबंध
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: रिक्शावाला पर निबन्ध
परिचय
प्राय: प्रत्येक नगर में रिक्शा देखने को मिलता है। रिक्शावाला एक ऊंची सीट पर बैठता है और उसके पैडलों को चलाकर इसे खींचता है।
वर्णन
रिक्शावाला बहुत कठिन जीवन व्यतीत करता है। उसके जीवन में दरिद्रता और कमी के सिवा कुछ नहीं। वह फटा एवं गन्दा वस्त्र पहनता है। वह सबसे सस्ता भोजन करता है। वह सडकों पर, अपने रिक्शे पर या किसी मकान के बाहरी बरामदे या छज्जे के अंदर सोता है। उसका रिक्शा तक भी उसका अपना नहीं होता। सामान्यत: वह इसे किसी धनी रिक्शा के मालिक से किराए पर लेता है। रिक्शा-मालिक को वह प्रतिदिन कुछ रकम अदा करता है। कभी-कभी उसकी दैनिक आमदनी पूरा किराया देने की रकम से भी कम पड जाती है। उसकी आमदनी एक-सी नहीं रहती। विवाहों, सम्मेलनों, त्योहारों इत्यादि अवसरों पर वह अच्छा कमा लेता है। फिर भी, उसकी औसत आमदनी से मुश्किल से दो या तीन आदमी गुजर कर सकते है।
रिक्शावाले का जीवन कष्टमय होता है। उसे सुबह से शाम तक खटना पडता है। सभी मौसमों में उसे प्रतिदिन अपना रिक्शा निकालना है। घोर वर्षा, झुलसानेवाली धूप तथा कंपाने\वाली सर्दी उसके लिए कोई अर्थ नहीं रखती। रिक्शावाले अधिकतर अनपढ होते हैं। लेकिन, सामान्यत: वे सरल एवं दब्बू होते । अधिकांश रिक्शावाले शराब और जुआ के आदी होते हैं। इस प्रकार वे अपने स्वास्थ्य को नष्ट करते हैं और कष्ट सहकर कमाए हुए अपने पैसे भी बरबाद करते हैं। दरिद्रता और रोग उसके आजीवन साथी बन जाते हैं।
समाज में उसका स्थान
समाज में रिक्शावाले को हेय दृष्टि से देखा जाता है। यात्रियों द्वारा उसके साथ बहुत रुक्ष व्यवहार किया जाता है। हां, कुछ बहुत दुष्ट रिक्शावाले भी हैं जो सदा अधिक किराए की मांग करते हैं। ऐसे के साथ दृढता से पेश आना चाहिए। लेकिन, मोटे तौर पर रिक्शावाले दयापूर्ण बर्ताव के पात्र हैं।
गुण-अवगुण
रिक्शावाला हमारे समाज का एक बहुत उपयोगी सदस्य है। कच्ची और तंग गलियों में जहां दूसरी सवारियां बिलकुल ही नहीं चल सकती, वह हमलोगों को अपने रिक्शे पर पहुंचा देता है। वह सब मौसम और सब समय प्राप्त है। बहुधा वह कुली का काम भी करता है। जिस स्थान पर उसका रिक्शा नहीं पहुंच सकता, उस स्थान से या उस स्थान तक वह हमलोगों का सामान अपने कन्धों पर ढोता है। लेकिन, आजकल कुछ रिक्शावाले दुष्ट और अपराधी हैं। वे यात्रियों को तंग करते हैं और कभी-कभी उनके समान और रुपयों का अपहरण कर लेते हैं। ऐसे रिक्शावालों से सावधान रहना चाहिए।
उपसंहार
रिक्शावालों के दु:खमय और कठिन जीवन को ध्यान में रखते हुए हमें उनपर दया करनी चाहिए। उनके साथ दयापूर्ण बर्ताव होना चाहिए और उन्हें उचित किराया देना चाहिए।
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Explanation:
रिक्शावाला एक ऐसा मनुष्य है जो रिक्शा चलाता है| हम शहरों में बहुत से रिक्शे वालों को देखते हैं| जब हम किसी बड़े स्टेशन पर रेल गाड़ी से उतरते हैं| तब हम बहुत से रिक्शे वालों को यात्रियों की प्रतीक्षा करते हुए देखते हैं| रिक्शेवाले का जीवन बहुत कठिन होता है| उसे कठिन परिश्रम करना पड़ता है| वह कड़ी धूप और वर्षा में रिक्शा चलाता है| वह बहुत नहीं कमाता है| वह अच्छा भोजन नहीं कर सकता| इसलिए हम ज्यादातर रिक्शे वालों को दुबले-पतले देखते हैं | और वे बीमारियों का शिकार जल्दी बन जाते हैं | उसे भीड़ वाली सड़कों पर रिक्शा चलाना पड़ता है | इसलिए हमें उसके साथ दया पूर्ण व्यवहार करना चाहिए|