रोला छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
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रोला एक छंद है जिसके प्रत्येक चरण मे ११+१३ के विश्राम से २४ मात्राएँ होती है । किसी किसी का मत हैं, इसके अंत में दो गुरु अवश्य आने चाहिए, पर यह सर्वसंमत नहीं है । भाव छोड़ कर, दाम, अधिक जब लेते पाया। शासन-नियम-त्रिशूल झूल उसके सर आया।
(1) जो जग हित, पर प्राण, निछावर है कर पाता।
जिसका तन है किसी, लोकहित में लग जाता।
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