रेल के डिब्बे में चढ़ते ही लेखक के अनुमान के प्रतिकूल क्या हो गया??
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रणथंभौर राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि आ गया
Explanation:
यय है कि आ गया है कि आ
रेल के डिब्बे में चढ़ते ही लेखक के अनुमान के प्रतिकूल क्या हो गया ?
रेल के डिब्बे में चढ़ते ही लेखक के अनुमान के प्रतिकूल यह हो गया कि जैसे ही लेखक रेल सेकंड क्लास के डिब्बे में चढ़ा तो वहां पर सामने की बर्थ पर एक नवाब साहब पहले से ही विराजमान थे, जबकि लेखक ने यह अनुमान लगाया था कि डिब्बा खाली होगा और वह वहां शांति से अकेले यात्रा करेगा तथा अपनी अगली कहानी के विषय में विचार मनन करेगा।
व्याख्या :
'लखनवी अंदाज' पाठ में लेखक जब ट्रेन से यात्रा करने की सोची तो लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट खरीदा। लेखक ने यह अनुमान लगाया था कि सेकंड क्लास के डिब्बे में भीड़ नहीं होगी और वह वहां अकेले शांति से यात्रा कर सकेगा ताकि अपनी कहानी के विषय में सोच सके। लेकिन टिकट खरीदने के बाद जब लेकर सेकंड क्लास के डिब्बे में चढ़ा वहां पर पहले से ही लेखक के अनुमान के प्रतिकूल एक नवाब साहब विराजमान थे। जिन्होंने लेखक का स्वागत बड़ी बेरुखी से किया। ये बात लेखक को पंसद नही आयी |
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