Hindi, asked by rashmi3099, 11 months ago

रेल यात्रा का वर्णन करते हुए मित्र को पत्र Please help fast

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Answered by kk2116
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Answer:

hello friend

ek bata rha hu jo aapko sunkar bahut khushi hogi

mai abhi abhi relway me safar karke aaya hu mujhe bahut achha lga or pahle se usme subidha bahut achha ho gya hai saf safai dekhne ko mila .

Answered by Anonymous
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भरतपुर।

दिनांक: 25-4-2017

प्रिय मित्र अशोक,

सप्रेम नमस्ते।

कुछ दिन पहले ही बनारस से लौटा हूँ। यह बहुत ही सुन्दर, धार्मिक और सांस्कृतिक नगर है। इसके सुंदरता का वर्णन करना मेरी लेखनी से बाहर की बात है। यहाँ से वापस लौटने की रेलयात्रा बहुत ही रोचक तथा आनन्ददायिनी रही। जब मैं तांगे से रेलवे स्टेशन पर पहुंचा तो हां टिकट की खिड़की पर लम्बी कतार देखी। उसे देखकर मेरे तो होश उड़ गए। क्योंकि रेल छूटने वाली ही थी। और में लाइन में ही खडा रह जाता।

टिकट काटने वाला बड़े आराम से टिकट काट रहा था उसे किसी की ट्रेन छूट जाने का कोई डर नहीं था। कुछ देर बाद मेरा धैर्य जवाब गया। तभी एक कूली बोला, ऐसे तो आपकी रेल छूट जाएगी। किसी पास के स्टेशन का टिकट बनवा लो। और आगे का टिकट अगले स्टेशन पर बनवा लेना। मुझे उसकी बात समझ में आ गई। मैंने प्रथम श्रेणी का टिकट लेकर गरीब रथ में बैठ गया।

प्रथम श्रेणी का डिब्बा खचाखच भरा था। फिर भी मैंने गाड़ी पकड़ी ही थी कि एक लड़के ने किसी की जेब काट ली। डिब्बे में शोर मच गया। तभी मैंने देखा कि एक लड़का चलती ट्रेन से कूदने को तैयार हो रहा था। मैंने संदेह के आधार पर उसे पकड़ लिया। तलाशी लेने पर उसके पास बटुआ मिल गया। उसमें हजार रूपए थे। उसके मालिक ने मेरा धन्यवाद दिया।

पर इस किस्से का अंत यही नहीं हुआ। किसी यात्री ने जंजीर खींच दी और गाड़ी वहीं खड़ी हो गई टिकट चैकर और गार्ड दोनों ही मेरे डिब्बे में पहुंचे। मैंने उनको कहानी बताकर जेब- कतरे को उनके हवाले कर दिया। डिब्बे के सभी यात्रियों ने मेरा समर्थन किया। कुछ देर बाद गार्ड वहां से चला गया और उसके बाद ट्रेन चल पड़ी। पर टिकट चैकर मेरे पास ही बैठ गया। मैंने उसे टिकट की कहानी बताकर द्वितीय श्रेणी का टिकट बनवा लिया। जब बनारस में गाड़ी खड़ी हुई तो मैंने अपने सामान सहित द्वितीय श्रेणी के डिब्बे में प्रवेश किया। स्थान भी अच्छा मिल गया। फिर तो सारी यात्री आराम से पूरी हो गई।

समय निकाल कर एक बार जयपुर अवश्य आओं। सभी लोगों को मेरा नमस्कार।

आपका अभिन्न हृदय

मनोज कुमार

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