रामू की बहू ने तय कर लिया कि या तो वही घर में रहेगी या फिर कबरी बिल्ली ही। मोरचाबंदी हो गई
और दोनों सतर्क ! बिल्ली फँसाने का कठघरा आया। उसमें दूध, मलाई, चूहे और भी बिल्ली को स्वादिष्ट लगने
वाले विविध प्रकार के व्यंजन रखे गए लेकिन बिल्ली ने उधर निगाह तक नहीं डाली। इधर कबरी ने सरगर्मी
दिखलाई। अभी तक तो वह रामू की बहू से डरती थी; पर अब वह साथ लग गई लेकिन इतने फासले पर कि
रामू की बहू उसपर हाथ न लगा सकी।
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भारतवर्ष ने कभी भी भौतिक वस्तुओं के संग्रह को बहुत अधिक महत्त्व नहीं दिया है, उसकी दृष्टि से मनुष्य के भीतर जो महान अंतिरिक गुण स्थिर भाव से बैठा हुआ है, वही चरम और परम है। भौतिक वस्तुओं के संग्रह से कोई लाभ नहीं होता। क्योंकि भारतीय संस्कृति धार्मिक मनोभावों को बढ़ावा देती है
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