राम के रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परछाहीं । याती सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाहीं । meaning
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राम के रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परछाहीं।
याती सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाहीं।।
संदर्भ — ये पंक्तियां ‘गोस्वामी तुलसीदास’ के ग्रंथ “कवितावली” के ‘बालकांड’ प्रसंग से ली गयी हैं। ये प्रसंग उस समय का है जब श्रीराम और सीता के विवाहोत्सव का कार्यक्रम चल रहा है। सब जन मिलकर मंगलगीत गा रहे हैं। युवा ब्राह्मण एकमेव स्वर में वेदपाठ कर रहे हैं। उपरोक्त पंक्तियों का हिंदी भावार्थ प्रस्तुत है।
भावार्थ — प्रस्तुत पंक्तियों में तुलसीदास जी कहते हैं कि सीता प्रभु श्रीराम का रूप निहार रही हैं क्योंकि दूल्हे के वेश श्रीराम अत्यन्त मनमोहक दिख रहे हैं। जब अपने हाथ में पहने कंगन में जड़ित नग में प्रभु श्रीराम की मनमोहक छवि की परछाई देखती हैं तो वो स्वयं को रोक नही पातीं हैं और एकटक प्रभु श्रीराम की मनमोहक छवि को निहारती रह जाती हैं।
Answer:
राम को रूप निहारति जानकि कंगन के नग की परिछाहीं। यातें सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारति नाहीं।
श्रृंगार रस