Hindi, asked by jatinkamra684gmailco, 10 months ago

राम लौकिक थे या अलौकिक?​

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Answered by Krishna805245
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Explanation:

भगवान राम को जहाँ महाभारतकार वेद व्यास ने गीता में वीरता के विग्रह के रूप में देखा है, वहीं तुलसी ने उन्हें परब्रह्म के अवतार के रूप में पहचाना है। लोकमानस उन्हें मर्यादापुरुषोत्तम के रूप में जानता है। जो परब्रह्म के अवतार को स्वीकार नहीं करते वे उन्हें एक महापुरुष के रूप में उद्धृत करते हैं।

राम नाम भगवान दाशरथि राम के अवतरण के पूर्व भी श्रद्धा के साथ स्मरण किया जाता था। कारण, राम शब्द की व्युत्पत्ति है। राम अर्थात सबमें रमा हुआ। भारतीय मनीषा ने इसी हेतु से राम नाम को परब्रह्मवाची स्वीकारा है। अध्यात्मवादी जानते हैं कि यह पञ्चभूता प्रकृति तब तक निष्क्रिय है जब तक इसका संस्पर्श उस एकमेव परमचेतन सत्ता में नहीं होता है। यह सृष्टि आण्विक है। प्रत्येक अणु, परमाणु अपने भीतर सत्, रज, तम् नाम के तीन तत्व धारण किए हुए है, जिसे स्थूल भौतिकता के स्तर पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश शास्त्रकारों ने कहकर, त्रि-देवों की भारतीय सांस्कृतिक एकता का ऐतिहासिक पक्ष प्रस्तुत किया है। जब प्रकृति पराशक्ति के संसर्ग में आती है तब उसका अणु-परमाणु चालित हो उठता है। इन्हीं त्रि-देवों में एक सर्जक तत्व है, दूसरा पालक तथा तीसरा विध्वंसक है। प्रकृति की इसी त्रि-गुणात्मक शक्ति को देख मूर्ख चार्वाक चेतन सत्ता की उपस्थिति अनावश्यक मान उसे नकारते हैं। पटरी पर इंजन दौड़ता है तो यह लोहे का गुण नहीं है। उस ऊर्जा शक्ति का गुण है जो उसे चालित रखता है। राम नाम भारतीय अध्यात्म की ऊर्जा है, जो दृश्यमान जगत को चालित रखने वाली शक्ति के रूप में स्वीकृत है।

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