राम लक्ष्मण और सीता चित्रकूट से कहां गए *
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Answer:
पंचवटी। यह वह स्थान है जहाँ राम, लक्ष्मण और सीता चित्रकूट छोड़ने के बाद चले गए थे। पंचवटी का शाब्दिक अर्थ है पांच बरगद के पेड़ों का बगीचा।
Explanation:
राम -सीता और लक्ष्मण को चित्रकूट छोड़कर क्यों जाना पड़ा? चित्रकूट में ही भरत जी सभी नगरवासियों को साथ लेकर श्रीराम से मिलने गये थे। आस पास के लोगों को पता चल गया कि राम जी चित्रकूट में विराजमान हैं तब सभी लोग उनसे मिलने पहुंचने लगे, वहाँ भारी भीड़ रोजाना आने लगी इसलिए वे तीनों चित्रकूट छोड़ कर आगे चले गये।
जानकीकुंड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनारे ही यह शिला स्थित है। माना जाता है कि इस शिला पर सीता के पैरों के निशान मुद्रित हैं। कहा जाता है कि जब वह इस शिला पर खड़ी थीं तो जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी। इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुन्दरता निहारते थे।
अयोध्या । 14 वर्ष वनवास काल काटकर और विधर्मी रावण का वध करने के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम भाई लक्ष्मण और जनकनंदिनी सीता के साथ वापस अयोध्या पहुंचे । इस मौके पर अयोध्या वासियों ने बड़े हर्ष और उल्लास के साथ उनका स्वागत किया । अयोध्या पहुचने पर भगवान राम की शोभायात्रा हाथी घोड़े और बैंड बाजे के साथ निकाली गई यह शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से होकर गुजरी ।
पंचवटी। यह वह स्थान है जहाँ राम, लक्ष्मण और सीता चित्रकूट छोड़ने के बाद चले गए थे।
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Answer:
- पंचवटी। यह वही स्थान है जहां राम, लक्ष्मण और सीता चित्रकूट छोड़कर चले गए थे। पंचवटी का शाब्दिक अर्थ है पांच बरगद के पेड़ों का बगीचा।
- विवरण: राम-सीता और लक्ष्मण को चित्रकूट क्यों छोड़ना पड़ा? चित्रकूट में ही भरत जी सभी नगरवासियों को लेकर श्रीराम के पास गए।
- आसपास के लोगों ने सुना कि राम जी चित्रकूट में बैठे हैं, तो सभी लोग उनसे मिलने आए, वहां हर दिन एक बड़ी भीड़ आने लगी, इसलिए तीनों चित्रकूट से निकल गए और आगे बढ़ गए।
- यह चट्टान जानकीकुंड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस चट्टान पर सीता के पैरों के निशान खुदे हुए हैं। कहा जाता है कि जब जयंत इस चट्टान पर खड़े हुए तो उन्होंने मुर्गे का रूप धारण कर उस पर चोंच मारी। राम और सीता इस चट्टान पर बैठकर चित्रकूट की सुंदरता की प्रशंसा करते थे।
- अयोध्या। वनवास में 14 साल बिताने और विधर्मी रावण को मारने के बाद, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम, भाई लक्ष्मण और जनकानंदिनी सीता के साथ अयोध्या लौट आए।
- इस अवसर पर अयोध्यावासियों ने बड़े हर्ष और उल्लास के साथ उनका स्वागत किया। अयोध्या पहुंचकर भगवान राम का जुलूस हाथियों, घोड़ों और बैंडों के साथ निकाला गया, यह जुलूस पंचवटी शहर के मुख्य मार्गों से होकर गुजरा।
- यह वह स्थान है जहां से राम, लक्ष्मण और सीता चित्रकूट से निकल कर चले गए थे।
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