राम लक्ष्मण परशुराम संवाद का काव्य सौंदर्य
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अर्थ - परशुराम के क्रोध को देखकर श्रीराम बोले - हे नाथ! ... हे राम! सुनो, जिसने शिवजी के धनुष को तोड़ा है, वह सहस्रबाहु के समान मेरा शत्रु है। वह इस समाज को छोड़कर अलग हो जाए, नहीं तो सभी राजा मारे जाएँगे
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