राम - लक्ष्मण परशुराम संवाद कविता की शिक्षा बताईये ?
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Hi
is paath se hamen yah shiksha milatee hai ki ahankaar nahin karana chaahie. ahankaar manushy kee mahaanata tatha upalabdhee ko chhota kar deta hai.logon ke tatha chhoton ke madhy usaka sammaan samaapt ho jaata hai. vinamr vyakti kee sabhee prashansa karate hain. vah kisee ke krodh ko bhee shaant karane kee kshamata rakhata hai.
Note: translate it in hindi using google transaltor if you want.
neel49:
thank you so much
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Answer :
- मुझे लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का यह अंश ‘‘तुम्ह तो कालु हाँक जनु लावा। बार-बार मोहि लागि बोलावा’’ विशेष रूप से अच्छा लगा। यह अंश संवाद शैली में निम्नलिखित है
- परशुराम अपनी वीरता की डींग हाँकते हुए लक्ष्मण को डराने के लिए बार-बार फरसा दिखा रहे हैं। लक्ष्मण व्यंग्य वाणी में परशुराम से कहते है।
- लक्ष्मण जी का पाला परशुरामजी से पड़ा था जो अपने गुरु शिव के धनुष को श्री राम द्वारा तोङ दिये जाने से अति क्रोधित हुए जा रहे थे। उनकी वेदना को लक्ष्मण समझ नहीं पा रहे थे और वे परशुराम की ईंट का जवाब पत्थर से दे रहे थे।
" please mark as brainliest "
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