CBSE BOARD X, asked by allpha2bravo, 8 months ago

राम लक्ष्मण परशुराम संवाद कविता में छंद है?


Answers

Answered by diksha20063
4

Answer:

yess...Ram Lakshman parshuram kavita me chand hai

Answered by jkanhaiya523
5

Explanation:

खरभरु देखि बिकल पुर नारीं। सब मिलि देहिं महीपन्ह गारीं॥

तेहिं अवसर सुनि सिवधनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा॥

खलबली देखकर जनकपुरी की स्त्रियाँ व्याकुल हो गईं और सब मिलकर राजाओं को गालियाँ देने लगीं। उसी मौके पर शिव के धनुष का टूटना सुनकर भृगुकुलरूपी कमल के सूर्य परशुराम आए।

देखि महीप सकल सकुचाने। बाज झपट जनु लवा लुकाने॥

गौरि सरीर भूति भल भ्राजा। भाल बिसाल त्रिपुंड बिराजा॥

इन्हें देखकर सब राजा सकुचा गए, मानो बाज के झपटने पर बटेर लुक (छिप) गए हों। गोरे शरीर पर विभूति (भस्म) बड़ी फब रही है और विशाल ललाट पर त्रिपुंड विशेष शोभा दे रहा है।

सीस जटा ससिबदनु सुहावा। रिस बस कछुक अरुन होइ आवा॥

भृकुटी कुटिल नयन रिस राते। सहजहुँ चितवत मनहुँ रिसाते॥

सिर पर जटा है, सुंदर मुखचंद्र क्रोध के कारण कुछ लाल हो आया है। भौंहें टेढ़ी और आँखें क्रोध से लाल हैं। सहज ही देखते हैं, तो भी ऐसा जान पड़ता है मानो क्रोध कर रहे हैं।

बृषभ कंध उर बाहु बिसाला। चारु जनेउ माल मृगछाला॥

कटि मुनिबसन तून दुइ बाँधें। धनु सर कर कुठारु कल काँधें॥

बैल के समान (ऊँचे और पुष्ट) कंधे हैं; छाती और भुजाएँ विशाल हैं। सुंदर यज्ञोपवीत धारण किए, माला पहने और मृगचर्म लिए हैं। कमर में मुनियों का वस्त्र (वल्कल) और दो तरकस बाँधे हैं। हाथ में धनुष-बाण और सुंदर कंधे पर फरसा धारण किए हैं।

दो० - सांत बेषु करनी कठिन बरनि न जाइ सरूप।

धरि मुनितनु जनु बीर रसु आयउ जहँ सब भूप॥

शांत वेष है, परंतु करनी बहुत कठोर हैं; स्वरूप का वर्णन नहीं किया जा सकता। मानो वीर रस ही मुनि का शरीर धारण करके, जहाँ सब राजा लोग हैं, वहाँ आ गया हो॥

देखत भृगुपति बेषु कराला। उठे सकल भय बिकल भुआला॥

पितु समेत कहि कहि निज नामा। लगे करन सब दंड प्रनामा॥

परशुराम का भयानक वेष देखकर सब राजा भय से व्याकुल हो उठ खड़े हुए और पिता सहित अपना नाम कह-कहकर सब दंडवत प्रणाम करने लगे।

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