‘राम-लक्ष्मणा-परशुराम संवाद' पाठ के आधार पर श्री रामचंद्र जी के स्वभाव पर प्रकाश
डालिए ।
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श्रीराम अपराधी पर भी कभी क्रोध नहीं करते थे खेलते हुए सदा प्रसन्न रहते थे सदा साथ रहते थे कभी किसी का साथ नहीं छोड़ते थे और अपने भाई को हारता हुआ देखकर वे स्वयं खेल हार कर उसे जीता देते थे ताकि मैं उदास ना हो
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manishajha93:
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