Hindi, asked by surwasemohini20, 3 months ago


राम-नाम रस पीजै,
मनवा राम-नाम रस पीजै।
तजि कुसंग, सतसंग बैठि नित, हरि-चर्चा सुणि लीजै।
काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ कूँ, चित्त से बहाय दीजै।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, ताके के संग में भीजै।।​

Answers

Answered by mandalsushil478
4

Answer:

राम नाम रस पीजै मनुआँ -मीराँबाई

राम नाम रस पीजै मनुआं, राम नाम रस पीजै ।।टेक।।

तज कुसंग सतसंग बैठ नित, हरि चरचा सुण लीजै।

काम क्रोध मद लोभ मोह कूँ, चित से बहाय दीजै।

मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, ताहि के रँग में भीजे ।।

मनुआँ = मनुष्य। बहाय दीजै = दूर कर दीजिए। रँग... भीजे = प्रेम में फँसिए। (देखो- ‘मनाँ भजि राम नाम लीजे। साध सगति सुमिरि-सुमिरि रसना रस पीजे’ - दादू )।

Explanation:

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Answered by Mithalesh1602398
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Answer:

इस भजन में मीरा बाई ने राम के नाम के रस की महत्ता बताई है जो हमें आनंद देता है और हमारे मन को शांति देता है। सत्संग की महत्ता भी बताई गई है जो हमें सत्य की ओर ले जाता है। भजन करने के द्वारा हम अपने मन को शुद्ध और पवित्र बनाते हैं।

Explanation:

यह दोहा मीरा बाई की एक भजन है जिसका अर्थ है:

"राम के नाम का रस पीजिए, मन हरषित हो जाएगा। सत्संग से कुसंग त्याग करके नित भजन कीजिए और हरि की कथा सुनते रहिए। अपने मन से काम, क्रोध, मद, मोह और लोभ जैसी बुरी वस्तुओं को बाहर निकालिए। मीराबाई के प्रभु गिरिधर नगर के संग रहते हुए अपने मन को उनकी भक्ति में भिगोएँ।"

इस भजन में मीरा बाई ने राम के नाम के रस की महत्ता बताई है जो हमें आनंद देता है और हमारे मन को शांति देता है। सत्संग की महत्ता भी बताई गई है जो हमें सत्य की ओर ले जाता है। भजन करने के द्वारा हम अपने मन को शुद्ध और पवित्र बनाते हैं।

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