Hindi, asked by khushiritu0608, 5 months ago

रामू नामक एक रिक्शा चालक की एक होनहार पुत्री थी......... इस पंक्ति को आधार बनाकर 100-120 शब्द की एक लघु कथा लिखिए।


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Answered by rajeevgupta39
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रिक्शेवाले ने लंबे संघर्ष के बाद अपने बेटे को IAS बना पाने में सफलता हासिल की। गरीबी का आलम ऐसा था कि दोनों सूखी रोटी खाकर रातें काटते थे। बेटा 2007 बैच के IAS अफसर है। वे इस समय गोवा में सेक्रेट्री फोर्ट, सेक्रेट्री स्किल डेवलपमेंट और इंटेलि‍जेंस के डायरेक्टर जैसे 3 पदों पर तैनात हैं। ये स्टोरी काफी वायरल हुई थी। YEAR ENDER 2017 सीरीज के तहत DainikBhaskar.com आपको रिक्शा चालक और उसके बेटे की इन्सपायरिंग स्टोरी बता रहा है।

सूखी रोटी खाकर कटती थीं रातें

- काशी में रिक्शा चलाने नारायण जायसवाल ने लंबे संघर्ष के बाद अपने बेटे को IAS बनाया था। यही नहीं, उनके बेटे की शादी एक IPS अफसर से हुई है। बेटा-बहू गोवा में पोस्टेड हैं।

- नारायण बताते हैं, ''मेरी 3 बेटियां (निर्मला, ममता, गीता) और एक बेटा है। अलईपुरा में हम किराए के मकान में रहते थे। मेरे पास 35 रिक्शे थे, जिन्हें किराए पर चलवाता था। सब ठीक चल रहा था। इसी बीच पत्नी इंदु को ब्रेन हेमरेज हो गया, जिसके इलाज में काफी पैसे खर्च हो गए। 20 से ज्यादा रिक्शे बेचने पड़े, लेकिन वो नहीं बची। तब गोविंद 7th में था।

- "गरीबी का आलम ऐसा था कि मेरे परिवार को दोनों टाइम सूखी रोटी खाकर रातें काटना पड़ती थी। मैं खुद गोविंद को रिक्शे पर बैठाकर स्कूल छोड़ने जाता था। हमें देखकर स्कूल के बच्चे मेरे बेटे को ताने देते थे- आ गया रिक्शेवाले का बेटा। मैं जब लोगों को बताता कि मैं अपने बेटे को IAS बनाऊंगा तो सब हमारा मजाक बनाते थे।"

- "बेटियों की शादी करने के लिए बचे हुए रिक्शे भी बिक गए। सिर्फ एक बचा, जिसे चलाकर मैं घर को चला रहा था। पैसे नहीं होते थे, तो गोविंद सेकंड हैंड बुक्स से पढ़ता था।"

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