राम ने पर्णकुटी कहाँ बनाई थी?
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सब कुछ ठीक ठाक रहा तो भगवान राम की त्रेता युग की पर्णकुटी का दर्शन अब इस युग यानी कलयुग में सम्भव हो सकेगा. अपने 14 वर्षों के वनवासकाल के दौरान साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट में बिताने वाले भगवान राम जिस स्थान पर पर्णकुटी में निवास करते थे जल्द ही उसका निर्माणकार्य प्रारम्भ होने वाला है. संतों साधू महात्माओं व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच कुटी निर्माण हेतु भूमिपूजन किया जा चुका है. 44 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं पर्णकुटी के निर्माण के लिए. ये कुटी बिल्कुल वैसी ही होगी जैसी त्रेता युग में भगवान राम के वनवासकाल के प्रवास के दौरान बनाई गई थी. चूंकि कुटी का स्थान मध्य प्रदेश राज्य के हिस्से वाले चित्रकूट में आता है इसलिए मध्य प्रदेश शासन से इसके निर्माण की धनराशि स्वीकृत हुई है. हालांकि ये स्थान जनपद के यूपी वाले हिस्से से बिल्कुल लगा हुआ है.
आने वाले दिनों में रामभक्त अपने आराध्य की उस कुटी का दर्शन कर सकेंगे जिसे पर्णकुटी कहा जाता है. धार्मिक पौराणिक ग्रंथों पुस्तकों में उल्लिखित मान्यताओ के अनुसार भगवान राम ने अपने 14 वर्षों के वनवासकाल के दौरान साढ़े ग्यारह वर्ष तक इसी पर्णकुटी में निवास किया था. अब इस स्थान पर उसी तरह की कुटी तैयार करने का खाका खींचा गया है. मध्य प्रदेश शासन के अभिलेखों में इस स्थान को दर्ज पाया गया. कई ऐतिहासिक साक्ष्य भी मिले इस स्थान से सम्बंधित. पर्णकुटी की भूमि नगर पंचायत नया गांव के पास स्थित है जो मध्य प्रदेश की सीमा में आती है. हालांकि यूपी के हिस्से वाले चित्रकूट की सीमा भी बिल्कुल इससे लगी हुई है.
गुरुवार को साधू संतो महात्माओं एवम प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी कुटी निर्माण हेतु भूमि पूजन सम्पन्न किया गया. भूमि पूजन में मौजूद स्वामी महेशानन्द ने बताया कि इसी स्थान पर भगवान राम पर्णकुटी में निवास करते थे. अति प्राचीन स्थान है ये और उस समय से ही नक्शे में ये स्थान पर्णकुटी के नाम से चिन्हित था. अति पावन स्थान है ये जहां भगवान निवास करते थे. कामदगिरि पर्वत व पवित्र मंदाकिनी नदी के बीच स्थित है पर्णकुटी. यहां साधना करने का बहुत महत्व है. वहीं नगर पंचायत अधिकारी नया गांव रमाकांत शुक्ला ने बताया कि यहां तीन कुटियों का निर्माण किया जाएगा. ये कुटी बिल्कुल वैसी ही होंगी जैसी भगवान राम के समय में बनाई गई थीं. काफी पवित्र स्थान है ये. 44 लाख की लागत से पर्णकुटी का निर्माण किया जाएगा. पर्णकुटी की भूमि मध्य प्रदेश शासन के अभिलेख में दर्ज है. कुछ भूमि संतों से भी ली गई है.
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भगवान राम की त्रेता युग की पर्णकुटी का दर्शन अब इस युग यानी कलयुग में सम्भव हो सकेगा. अपने 14 वर्षों के वनवासकाल के दौरान साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट में बिताने वाले भगवान राम जिस स्थान पर पर्णकुटी में निवास करते थे जल्द ही उसका निर्माणकार्य प्रारम्भ होने वाला है.