राम ने शक्ति प्रदर्शन में सातों-
-वृक्षों को एक साथ गिरा दिया।
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Answer:संगरूर। तीर्थस्थल मणिकर्ण साहिब में मंगलवार को चट्टान गिरने से सात युवक मारे गए थे। सातों युवक एक ही गांव से थे। गुरुवार को गांव रोगला में एक साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। युवकों के शव को जब उनके घर लाया गया तो परिजनों सहित पूरे गांव के लोगों की आंखें नम थीं। मृतकों के शोक में गांव की सारी दुकानें बंद रही।
मणिकर्ण हादसे से बचकर लौटे मिट्ठू सिंह ने मौत के मुंह से निकलने की आपबीती बताई। मिट्ठू सिंह ने कहा, हम 18 दोस्त 2.30 बजे सराए के कमरे में थे। अचानक जमीन हिलने लगी। लगा, भूकंप आया। फिर धमाका हुआ। कमरों के लेंटर गिरने लगे। मैं, लोकराज और तरसेम दीवार के साथ लेंटर गिरने से फंसे गए। किसी तरह बाहर निकले। तरसेम की टांग और बाजू टूट गई थी। इतने में एक के बाद एक फिर पत्थर गिरे। हम बेहोश हो गए। होश आया तो कुल्लू के अस्पताल में थे।
‘286 नंबर’ सुनकर घबराहट होने लगती है
जख्मी लोकराज का कहना है, घटना से सभी दहले हुए हैं। उन्हें 286 नंबर से घबराहट होने लगी है। क्योंकि उनका कमरा नंबर 286 था। इमारत की छठी मंजिल पर। ऊपर से लेकर नीचे तक सभी कमरे चट्टाने गिरने से ध्वस्त हो गए।
अस्पताल में नहीं ली किसी ने सुध
पंचायत सदस्य तरसेम राम ने बताया कि बुधवार रात एक बजे जख्मी 6 युवक कुल्लू से पटियाला के राजिन्द्रा अस्पताल पहुंचे। इन्हें रेफर किया था। अस्पताल में जख्मियों की किसी डाॅक्टर ने सुध नहीं ली। स्टाफ ने एक बार पट्टियां उतार दीं। दो घंटे तक नहीं पूछा। एक्सरे और सिटी स्कैन के पैसे तक लिए। प्रबंधन का बुरा हाल देख करीब 3 बजे अस्पताल से युवक पटियाला में रिश्तेदारी में चले गए, जिसके बाद गुरुवार सुबह गांव पहुंचे हैं।
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