राम ने विभीषण को क्यो स्वीकार किया
तथा इसका क्या फल हुआ ?
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हनुमान जी का साथ देना और हनुमान जी की लगी पूंछ से उसका घर न जलने के कारण वह रावण के शक का शिकार होता है जिसे रावण उसे अपनी सभा में सभा सधो के सामने लात मारता है और उसे कुल द्रोही बताता है इस तरह की बातों से वह अत्यन्त खिन्न होकर रावण को पिता के तुल्य मानते हुए भी उस के अनुचित कर्मो के कारण वह दुखित होता हुआ रावण को छोड़कर अपने चार राक्षसों के साथ रावण को छोड कर रावण की शरण में चला गया। वे जानते थे कि श्री राम ने कितनी मुश्किलों का सामना किया है, लंका तक पहुंचने के लिए। वे यह भी जानते थे कि यदि रावण का वध नहीं हुआ तो, वह दुनिया उलट-पलट कर देगा और अनिष्ट कार्य करेगा। इसलिए उन्होंने राम जी का साथ दिया और उनकी मदद की। विभीषण की अच्छाई का पता तब चलता है, जब हनुमान जी पहली बार लंका में आते हैं और जब वह पूछने के लिए किसी को ढूंढते हैं, तो एक घर दिखाई देता है।
मुझे आशा है कि आपको इस से मदद मिली है ।
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hope it helps you brother