राम ने विभीषण को क्या विश्वास दिलाया
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हालांकि विभीषण ने अधर्म को अस्वीकार करते हुए धर्म का साथ दिया। लेकिन धर्म का साथ देने की वजह से उनके माथे पर कुल द्रोही होने का ठप्पा भी लग गया, क्योंकि धर्म का साथ देने के लिए उन्होंने अपने ही भाई बंधुओं का नाश करवा दिया।
विभीषण ने बार-बार रावण को मां सीता को ससम्मान राम को पुनः लौटाने के लिए कहा था ,लेकिन रावण ने उनकी एक नहीं सुनी ।यहां तक कि उन्हें धक्के देकर उन्हें लंका से बाहर निकाल दिया। इसी वजह से विभीषण ने राम के पास आकर धर्म का रास्ता चुन लिया। उन्होंने लंका के गुप्त रहस्य का पता राम और उनकी सेना को दे दिया ।यहां तक कि रावण रावण को मारने का रहस्य भी विभीषण ने हीं दिया।
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जब विभीषण श्रीराम से पहली बार मिलने आए तो किसी ने उन्हें रावण का दूत समझा तो किसी ने गुप्तचर, तब श्रीराम ने क्या किया?
3 वर्ष पहले
रिलिजन डेस्क। सफलता के लिए केवल शक्तिशाली होना ही काफी नहीं होता है। सफलता के लिए धैर्य, धर्म, विश्वास और शक्ति का सामंजस्य होना जरूरी है। अगर इनका सामंजस्य नहीं हो तो फिर सफलता मिलना मुश्किल होता है। जरूरी है कि आप शक्ति के साथ धर्म पर विश्वास रखें, धैर्य से काम लें और परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम हों तो सफलता आसानी से आपके पास खुद चल कर आ जाएगी।
विभीषण राक्षस था, तो भी श्रीराम ने उस पर विश्वास किया
- जब श्रीराम, रावण से युद्ध के लिए समुद्र के किनारे पर आ गए तो ये बात जब विभीषण को पता चली तो वे रावण का साथ छोड़कर श्रीराम की शरण में आ गए। - विभीषण को श्रीराम की शरण में आया देख किसी ने उनको रावण का दूत समझा तो किसी ने गुप्तचर। ये बात जाकर वानरों ने श्रीराम को बताई।
- श्रीराम ने सुग्रीव से पूछा कि क्या करना चाहिए। सुग्रीव ने सलाह दी कि यह शत्रु का भाई है, हमारा भेद लेने आया है। इस पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
- श्रीराम ने विचार किया और कहा कि- हम पहले विभीषण से मिलेंगे। उसके बाद ही कोई निर्णय लेंगे। अगर वो हमारा भेद भी लेने आया है तो कोई परेशानी नहीं है।