राम और भर का प्रेम अदितिय था। तुलसीदास के कथनो से दो प्रमाण देते हुए सिध्द किजीए।
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भक्ति रस में विभोर तुलसीदास को कौन नहीं जानता रामचरित्र मानस में राम के प्रति प्रेम उनकी की अनंत भक्ति को परिलक्षित करता है। हिंदी साहित्य के सिद्ध पुरुष गोस्वामी तुलसीदास का जन्म और जीवन दोनों ही अति रोचक रहा है। सावन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 30 जुलाई 1554 में उत्तर प्रदेश के राजापुर गांव में उनका जन्म हुआ, जन्म के दूसरे ही दिन उनकी माता हुलसी का देहांत हो गया | इसके पश्चात जब उनका जन्म हुआ तो रोने की वजाय उनके श्रीमुख से राम नाम निकला, फिर होना क्या था उनके घर का ही नाम रामबोला हो गया। माता हुलसी के निधन के बाद चुनिया नाम की दासी ने 5 वर्षों तक रामबोले का पालन पोषण किया। इसके बाद चुनिया का भी देहांत हो गया चुनिया के देहांत के बाद रामबोला एकांत अनाथों जैसा जीवन जीने को मजबूर हो गए, रामबोला की ऐसी स्थिति को देख गुरु नरहर्यानंद जी ने रामबोले को अपने साथ अयोध्या ले आए और रामबोले का नाम बदलकर तुलसीदास रख दिया गया।