रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामानास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहम्
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ।।
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रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामानास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहम्
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ।।
अर्थ : राजाओं के शिरोमणि प्रभु श्रीराम, जो सदा ही विजयी होते हैं, उनको मैं नमन करता हूँ। राक्षसों का नाश करने वाला प्रभु श्रीराम को मैं नमन करता हूँ।
मेरे लिए प्रभु श्रीराम से अधिक कुछ भी महत्वपूर्ण नही है। मैं तो प्रभु श्रीराम का दास हूँ। मेरा चित्त राम में ही रमा हुआ है। प्रभु श्रीराम मेरा उद्धार करें।
इस श्लोक की विशेषता ये है कि इसमें ‘राम’ की सभी आठ विभक्तियों का प्रयोग किया है।
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