रामायण की 5 चौपाईयो को सस्वर कंठस्थ किजिये
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गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
बयरु न कर काहू सन कोई।
राम प्रताप विषमता खोई॥
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️☺️❤️
“जाके सुमिरन तें रिपु नासा। नाम सत्रुहन बेद प्रकासा॥”
❤️❤️❤️❤️❤️
पवन तनय बल पवन समाना।
बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
कर सारंग साजि कटि भाथा। अरिदल दलन चले रघुनाथा।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
“तेहि अवसर सुनि सिव धनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा॥”
☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️
गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
बयरु न कर काहू सन कोई।
राम प्रताप विषमता खोई॥
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“जाके सुमिरन तें रिपु नासा। नाम सत्रुहन बेद प्रकासा॥”
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पवन तनय बल पवन समाना।
बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥।
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कर सारंग साजि कटि भाथा। अरिदल दलन चले रघुनाथा।
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“तेहि अवसर सुनि सिव धनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा॥”
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Answer:गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
बयरु न कर काहू सन कोई।
राम प्रताप विषमता खोई॥
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“जाके सुमिरन तें रिपु नासा। नाम सत्रुहन बेद प्रकासा॥”
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पवन तनय बल पवन समाना।
बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥।
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कर सारंग साजि कटि भाथा। अरिदल दलन चले रघुनाथा।
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“तेहि अवसर सुनि सिव धनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा॥”
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