रामचंद्रजी को अपनी नाव में बिठाने के लिए केवट ने आना-कानी क्यों की?
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जिन्हें पूजा भाव भी नही आता था। ऐसे ही एक साधु थे "केवट" जिन्होंने तीनों लोकों के पालनहार की "नैया" पार लगाई थी। जब प्रभु राम ने केवट से नाव लाने के लिए कहा क्योंकि उन्हें गंगा पार जाना था केवट ने बड़े तल्ख शब्दों में मना कर दिया और यह सुनकर भैया लखन की छाती फूल गयी।
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जिन्हें पूजा भाव भी नही आता था। ऐसे ही एक साधु थे "केवट" जिन्होंने तीनों लोकों के पालनहार की "नैया" पार लगाई थी। जब प्रभु राम ने केवट से नाव लाने के लिए कहा क्योंकि उन्हें गंगा पार जाना था केवट ने बड़े तल्ख शब्दों में मना कर दिया और यह सुनकर भैया लखन की छाती फूल गयी।
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